करूँगा मैं भी खोज

करूँगा मैं भी खोज

बाल कविता
लाल देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव सुपरिचित लेखक। अब तक काव्य संकलन, बाल-कविताएँ एवं देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।...और आगे

शरद ऋतु

दोहे
माणक तुलसीराम गौड़ सुपरिचित साहित्यकार। साहित्य की लगभग सभी विधाओं में लेखन। अब तक पैंतीस पुस्तकें प्रकाशित। ...और आगे
सौ पत्ते-सौ साल

सौ पत्ते-सौ साल

साहित्य का विश्व परिपार्श्व
मूल : जॉन गल्सवर्थी अनुवाद : बंशीधर तातेड़ जॉन गल्सवर्थी का जन्म १४ अगस्त, १८६७ को किंग्सटन अपॉन टेम्स, सरे (इंग्लैंड) में हुआ। अपनी पढ़ाई के साथ ही उन्होंने लेखन के क्षेत्र में प्रवेश किया। ...और आगे
लोहे-पत्थर की बस्ती में काँच के घर

लोहे-पत्थर की बस्ती में काँच के घर

राम झरोखे बैठ के
गोपाल चतुर्वेदी अपना बचपन देवास नाम के एक छोटे शहर में बीता है। उसकी विशेषता है। बमुश्किल, तब के चालीस-पचास हजार आबादी के इस छोटे से नगर में एक नहीं, दो-दो राजा थे—एक सीनियर, एक जूनियर। ...और आगे
कहाँ चला गया मेरा भोला मन l

कहाँ चला गया मेरा भोला मन l

ललित निबंध
सनत सुपरिचित लेखक। 'अभिषेक को लग गया चश्मा' तथा कुछ संपादित पुस्तकें एवं साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। आकाशवाणी केंद्रों से प्रसारण। ...और आगे
गरीब क्या अमेरिका में नहीं?

गरीब क्या अमेरिका में नहीं?

व्यंग्य
हरि जोशी जाने-माने व्यंग्यकार। अब तक तीन कविता-संग्रह, पंद्रह व्यंग्य-संग्रह, छह उपन्यास के अलावा प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित एवं आकाशवाणी तथा दूरदर्शन से प्रसारित।...और आगे
ओमशिला से ॐ लुप्त हुआ

ओमशिला से ॐ लुप्त हुआ

आलेख
प्रमोद भार्गव सुपरिचित लेखक। पहली कहानी बंबई 'नवभारत टाइम्स' में, दूसरी कहानी 'धर्मयुग' में छपी।...और आगे

साँस फिर उदास है

कविता
कमलेश कुमार दीवान खत आसमान के बादलों के साथ आए हैं खत आसमान के  सागर ने लिख भिजवाए हैं खत तापमान के,  नदिया उफान पर हैं पर्वत भी खिसक रहे  भरमा गई हैं घाटियाँ अपने ही निमान से, ...और आगे
मुक्ति

मुक्ति

कहानी
भगवान अटलानी मूर्धन्य लेखक। हिंदी में तेरह, सिंधी में आठ, स्वयं अनूदित तीन, अन्य भाषाई लेखकों द्वारा अनूदित छह, कुल तीस पुस्तकें तथा १२०० से अधिक रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।...और आगे
चार गजलें

चार गजलें

गजल
बालस्वरूप राही बालस्वरूप राही सुपरिचित बहुमुखी साहित्यकार। गीत, गजल, मुक्त छंद लगभग सभी विधाओं में निष्णात। हिंदी के प्रथम ऑपेरा 'राग-बिराग' के रचनाकार।...और आगे

पारिवारिक प्रवक्ता

लघुकथा
सेवा सदन प्रसाद सुबह-सुबह 'बेड-टी' मिलते ही सक्सेनाजी ने पूरे परिवार के समक्ष अपना बहुमूल्य विचार पेश किया, "याद रक्खो' कल चुनाव है। सब लोग समय निकालकर मतदान अवश्य करना। ...और आगे
बोलने वाला बुत

बोलने वाला बुत

प्रतिस्मृति
आनंद प्रकाश जैन श्री आनंद प्रकाश का जन्म उ.प्र. के मुजफ्फरनगर जनपद के कस्बा शाहपुर में १५ अगस्त, १९२७ को हुआ था। उनकी पहली कहानी ‘जीवन नैया’ सरसावा से प्रकाशित मासिक ‘अनेकांत’ में सन् १९४१ में प्रकाशित हुई थी।...और आगे

कवि-सम्मेलनों की कविता

संपादकीय
पिछले दिनों सोशल मीडिया पर दशकों पहले दिल्ली में आयोजित एक कवि-सम्मेलन का पत्रक (पोस्टर) बहुत चर्चित हुआ। ...और आगे