जोड़-तोड़ की यात्रा

जोड़-तोड़ की यात्रा

राम झरोखे बैठ के
अपनी-अपनी प्रभु-प्रदत्त प्रतिभा है। कुछ कलाकार होते हैं, हुसैन ऐसे चित्रकार......और आगे
माहिये

माहिये

कविता
जीवन तो तमाशा है तू लाख जतन कर ले पानी में बताशा है --- है कौन जो पूरा है इस प्रेम-कसौटी पर हर शख्स अधूरा है...और आगे
जामुनवाली अम्माँ

जामुनवाली अम्माँ

कहानी
एक बादल बहुत नटखट था। इतना नटखट कि जामुन बेचनेवाली अम्माँ की टोकरी से जब देखो तब जामुन चुरा लेता था। आज दोपहर में जब जामुनवाली अम्माँ पेड़ के नीचे बैठी सुस्ता रही थी तो नटखट बादल ने पत्तों के झुरमुट से झाँका और टोकरी से एक या दो नहीं बल्कि पूरे दस जामुन चुरा लिय...और आगे
मंदिरों का शहर है मदुरै

मंदिरों का शहर है मदुरै

यात्रा-वृत्तांत
मदुरै का नाम काफी समय से सुनता आया था। द्रविड़ संस्कृति का केंद्र मदुरै भारतीय इतिहास में अपनी विशिष्ट अहमियत रखता है। वह इस मायने में कि अतीत में इसने अनेक राजवंशों का उत्थान-पतन झेला है। ...और आगे

दिल्लगी

साहित्य का विश्व परिपार्श्व
हमारे बुजुर्ग बिना किसी को ठेस पहुँचाए अलग ही अंदाज में दिल्लगी करते थे। हमारे बुजुर्गों द्वारा की जानेवाली दिल्लगी जैसा मजा आजकल की दिल्लगी में कहाँ! फिर भी दिल्लगी करने का अपना अलग ही मजा है। किसी को अपनी मूर्खता पर हँसने के लिए मजबूर करना, नाराज होने पर उस...और आगे

पीछा करता हुआ पर्वत

साहित्य का भारतीय परिपार्श्व
जाने इस पेड़ को क्या कहते हैं! छतरी-सा है यह। मेरा सिर इसकी छाया में है और बाकी जिस्म धूप में। कितनी अच्छी लगती है आजकल की यह धूप और तब जब सिर पर छतरी की छाया हो। ऐसा लगता है, माघ के कठिन जाड़े में आदमी गरम पानी में गोते लगा रहा हो। ...और आगे

लिये थे नोट

लघुकथा
प्रमुख सलाहकार ने फुसफुसाते हुए कहा, 'जनता अब उतनी बेवकूफ नहीं रही। लालच बढ़ गया है। स्मार्ट फोन, साइकिल, लैपटॉप भी चाहिए। साथ में मुफ्त बिजली, पानी, राशन भी? सब मुफ्त चाहिए तो विकास कहाँ से होगा......और आगे
महाराष्ट्र का सांस्कृतिक वैभव

महाराष्ट्र का सांस्कृतिक वैभव

आलेख
1 मई, वर्ष २०२३, यानी महाराष्ट्र का ६३वाँ वर्धापन दिवस। १ मई, १९६० को प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू के कर-कमलों से विदर्भ, मराठवाड़ा, कोंकण और ......और आगे
इकन्नी

इकन्नी

प्रतिस्मृति
"इसे रख लो। इनकार मत करो। देखने में यह इकन्नी है, पर इसकी कीमत सचमुच इससे कहीं ज्यादा है। बस, रख लो इसे। मेरे पास ले-देकर यही इकन्नी है, चाहे यह तुम्हारी मजदूरी नहीं चुका सकती..."...और आगे

पसीने के दस्तावेज

संपादकीय
किसी ‌कवि ने कहा था-ये ताज अजंता बोकारो...हैं दस्तावेज पसीने के! पूरे विश्व में जितनी भी विशालकाय इमारतें हैं, मीनाक्षी मंदिर या ताजमहल जैसे वास्‍तुकला के प्रतिमान हैं या पुल या बाँध या कारखाने आदि हैं, सब पसीने के ही दस्तावेज हैं। ...और आगे