जाने-माने साहित्यकार। अब तक पूर्व्या (हिंदी नवगीत-संग्रह), आओ, बातां कराँ (राजस्थानी कविता-संग्रह), चलो, चूना लगाएँ (हिंदी व्यंग्य-संग्रह), मगनधूळि (उड़िया का राजस्थानी अनुवाद), जूण-जातरा, छेकड़लो रास (राजस्थानी उपन्यास), राजस्थानी भासा को मध्यकाल (आलोचना), हेमांणी (अनुवाद), ‘प्रेम में कभी-कभी’ (हिंदी कविता-संग्रह)। मेवाड़ रत्न, सहस्त्राब्दि हिंदीसेवी सम्मान, सृजन साहित्य पुरस्कार, सारंग साहित्य सम्मान सहित अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
वीर रस का कवि बीवी से पिट रहा था। हालाँकि हमारे दौर के कई मंचीय कवि ऐसे विविध काम करते हैं कि लोगों द्वारा उनकी पिटाई हो, लेकिन पाकिस्तान की छाती पर झंडा गाड़ने की बात कहने वाले कवि का इस तरह बीवी के चरणों में पड़े हुए बिलबिलाना कुछ अप्रत्याशित था। यों कविता का छंदों से और हमारे दौर के कवियों का छल-छंदों से वास्ता होना कोई नई बात नहीं है। कवि छल नहीं करेगा तो नए कवि-सम्मेलनों का ठेका कैसे पाएगा? कवियों के पारिश्रमिक में से कमीशनखोरी कैसे होगी? उस कवयित्री से नैन मटक्का कैसे होगा, जिस कवयित्री के लिए वो आयोजक से भिड़ जाते हैं। वीर रस का कवि भले ही यह कहे कि उसे बिंदी, चूड़ी कंगन, काजल पर कविता नहीं लिखनी, क्योंकि उसे देश के प्रति अपना फर्ज निभाना है, लेकिन वह कवयित्री की आँखों के काजल से तो अपने मुँह पर कालिख मल सकता है। वह अपने साथी कवियों से तो कह सकता है कि उस कवयित्री की आँखों से ज्यादा सुंदर दुनिया में कुछ नहीं है।
लेकिन वीर रस का कवि अभी पिट रहा था। किसी और से पिटता तो यह कहकर पब्लिसिटी पाई जा सकती थी कि उसकी कविता से नाराज होकर कुछ देशविरोधी ताकतों ने उस पर हमला कर दिया। इस बात पर वह अपने लिए खास सुरक्षा की माँग कर सकता था। सुरक्षाकर्मियों से घिरे रहकर दुश्मन को चुनौती देने में सेलिब्रिटी होने जैसा सुख मिलता है। लेकिन बीवी से पिटने पर कवि सुरक्षा कैसे माँगे? अपनी चढ़ती जवानी के दिनों में दूसरों की बीवी से पिटते हुए कई बार बचने वाला कवि आज अपनी ही पत्नी के हत्थे चढ़ गया।
अब वीर रस का कवि क्या करेगा? अपनी बीवी से पिटने की घटना तो शृंगार रस का गीतकार तक किसी को नहीं बताता, तो वीर रस का कवि कैसे बताएगा? क्या वह बीवी को पाकिस्तान मानते हुए नई कविता लिखेगा और अपनी सारी भड़ास निकाल लेगा? क्या वह बीवी के हाथ के बेलन को पाकिस्तान का परमाणु बम बता सकेगा? हो सकता है कि अब तक लिखी कविताओं में छुपे वीर रस के पीछे भी ऐसा ही कुछ हो। लेकिन अब तो वह बड़ा कवि हो चुका था। देश की कई कवयित्रियों को अपनी सिफारिश पर अलग-अलग कवि-सम्मेलनों में बुलाता था और उन्हें करुण रस के वास्तविक अर्थों का रसास्वादन करवाता था। शराब का नशा चढ़ने पर वह संस्कृति के बारे में लंबा भाषण देता था। कविता पढ़ते हुए इतनी जोर से चीखता था कि कई बार दूर गली में बैठे हुए कुत्ते तक डर जाते थे। आश्चर्य यह था कि इतने बड़े कवि को उसकी बीवी पीट रही है और उसकी बोलती बंद थी।
सवाल यह था कि वीर रस के कवि की बीवी के मन में अपने पति को पीटने का चाव क्यों जागा? कवि ने उसे अपनी कोई घटिया तुकबंदी सुना दी थी या बीवी को उस तुकबंदी से भी घटिया उसकी कुछ हरकतों के बारे में पता चल गया था। पिटना वीर रस के कवि के लिए कोई नई बात नहीं है। बचपन में तो वह इतना पिटा है कि कई बार उसे लगता था, उसका जन्म ही पिटने के लिए हुआ है। पढ़ाई में फिसड्डी था तो स्कूल में पिटता था। पैसे चुराने की आदत पकड़ी गई तो पिता ने उसे कई बार पीटा। अपनी हरकतों के कारण मोहल्ले की कई लड़कियों के भाइयों ने उसे सार्वजनिक तौर पर पीटा। शुरू-शुरू में तो उसके माता-पिता को यही लगता था कि इतना पिटने के कारण ही उसके मन का विद्रोह वीर रस की कविता के रूप में अपना सुख तलाश रहा है।
वीर रस का कवि पिट रहा था। यदि लोगों को उसकी पिटाई के बारे में पता चला तो वह इसके बारे में कैसे बात करेगा? बात-बात में कठिन हिंदी के चुराए गए संवाद बोलने वाला कवि, क्या यह कहेगा कि “संस्कृति के सरोकारों और स्त्री के सम्मान के संरक्षण के लिए सरस्वती के साधक ने सहजता से श्वसुरतनया के सम्मुख अपने सपनों और स्वाभिमान का समर्पण कर दिया?”
अलंकार के अन्वेषक इसका कुछ भी अर्थ लगाएँ, लेकिन सच्चा अर्थ तो यही है कि वीर रस का कवि अपनी बीवी के हाथों पिट रहा था।
३ए ३०, महावीर नगर विस्तार,
कोटा-३२४००९ (राज.)
दूरभाष : ०९४१४३०८२९१