बेईमान ही आगे

तारीफ
तारीफ करूँ मैं
कैसे उसकी
शब्दों का
अभाव गहराया है
जिसने हमें
हमारा परिचय
सारे जगत् में
कराया है;
जो पल-पल
जीता है
हमारी खातिर
दुश्मनों की गालियाँ
खाता है
धैर्य धारणकर
संतों सा वह
जीवन-मूल्य
सिखाता है;
पाँच हजार साल का
इतिहास उसने हमें
नए सिरे से
समझाया है
वह तो हमारी
संतति का भविष्य
बनाने आया है।
 

संग्राम जारी है
लक्ष्य तो मेरा सदा
ऊपर ही उठने का है
पर क्या करें
सब रास्ते नीचे की ओर
लुढ़कते हैं,
हर काम मैं
देशहित में करता हूँ
पर क्या करें
देशद्रोही ही हकदार
बनते हैं,
ईमान कभी बेचता नहीं हूँ
पर क्या करें
बेईमान ही आगे
निकलते हैं,
फिर भी संग्राम जारी है
संततियों के भविष्य की खातिर
आज भी जंग भारी है।

आमा खडकालय, 
दुर्गागढ़ी, प्रधाननगर, 
दार्जिलिंग-७३४००३ (प.बं.) 
दूरभाष : ९७४९०५२८५७
 

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