मृत्यु प्रतीति

मृत्यु प्रतीति

व्यवसाय से सनदी लेखाकार (प्रैक्टिसिंग चार्टर्ड अकाउंटेंट), टैक्स गुरु पोर्टल पर कविताएँ व लेख प्रकाशित। इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट की पत्रिका में कविताएँ प्रकाशित, आकाशवाणी दिल्ली में कविता वाचन, सतमौला कवियों की चौपाल की मानद निदेशक व गीता परिवार में प्रचारक।

एक दिन है उड़ जाना सबको,
धुआँ बनके पंच तत्त्वों में।
आत्मा को परमात्मा के संग,
अहंकार को इस मिट्टी में॥

खुद से पूछा क्यों है ऐसा,
सब क्यों ऐसा करते हैं।
नहीं प्रतीति जाना हमको भी,
इसीलिए ऐसा करते हैं॥

चलते चलो बढ़ते चलो बस,
सिर्फ यही एक अपनी रीति।
छोड़ प्रभु पर दुनिया की बातें,
रुके कामों की बना नीति॥

मृत्यु एक अटल सत्य है,
फिर भी क्यों मन रोता है।
कमर कसो छोड़ो न हिम्मत,
अधूरे कामों को करना है॥

मृत्यु लक्ष्य और जन्म स्रोत है,
बस यात्रा ही तो करनी हमको।
यात्रा सफल हो सबकी धरती पर,
बस यही प्रभु से है विनती॥

जाती आत्मा को है प्रणाम,
आती आत्मा का स्वागत।
जाती आत्मा सत्य-बोध करती,
आती आत्मा ईश कृति दिखाती॥

भरोसा ईश पर रखकर हमको,
काम अधूरे करना है।
समय नहीं अब बचा बहुत है,
एक दिन धुआँ बन उड़ जाना है॥ 

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मयूर विहार एक्सटेंशन, दिल्ली-९२ 
दूरभाष : ९३५००४००००

जुलाई 2024

   IS ANK MEN

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