RNI NO - 62112/95
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मॉर्निंग टी“अजी, उठिए न। आज आपके हाथ की बनी चाय पीनी है। बहुत दिनों से आपके हाथ से बनी चाय नहीं पी है।” रूपा ने कंबल के अंदर से विकास को हिलाते हुए कहा। “ओह! अरे यार! संडे है। सोने दो। तुम खुद बना लो।” विकास ने अधजगी अवस्था में जवाब दिया। “ओ माय डार्लिंग, प्लीज।” रूपा ने प्यार से कहा। “ओह हो! तुम भी न। चलो बनाता हूँ।” विकास ने बिस्तर से उठते हुए कहा। फरवरी का महीना। गुलाबी सर्दी वाली सुबह। नोएडा के पैराडाइज सोसायटी में विकास का ‘प्रेम निवास’। शादी को दस बरस बीत चुके हैं। बालकनी में सुबह की खिली-खिली धूप। “धूप कितनी अच्छी लग रही है न।” चाय की चुस्की लेते हुए रूपा ने कहा। “क्या बात है? कुछ डिमांड तो नहीं? आज मुझ पर बड़ा प्यार आ रहा है। ऐसे तो इतने बरसों में कभी ढंग से मेरी तारीफ भी नहीं की।” विकास ने कहा। “ओह हो! इतनी शिकायतें। तुम नहीं समझोगे। स्त्रियाँ खुलेआम पति का तारीफ नहीं कर सकतीं। लोग नजर लगा देंगे। मैं दिखावा नहीं करती। इस माॅर्निंग टी को ही ले लो। यह महज चाय नहीं है, तुम्हारे साथ होने का, तुम्हारे प्यार का, केयरिंग होने का अहसास है। आज के भाग-दौड़ वाले समय तुम्हारे साथ माॅर्निंग टी एक अलग सुकून एवं आनंद देता है। यही छोटे-छोटे पल जिंदगी में रिश्तों को जीवंत बनाते हैं, उसकी गरमाहट को बनाए रखते हैं।” चाय की चुस्की लेते हुए रूपा ने जवाब दिया। सूरज की रोशनी में रूपा की अलग छवि को विकास निहारे जा रहा था। मार्निंग टी की चुस्की और मिठास के साथ न जाने कितनी गलतफहमियाँ और कड़वाहटें घुलती जा रही थीं। टेकजोन ४, निराला एस्टेट ग्रेटर नोएडा (पश्चिम)-२०१३०६ (उ.प्र.) दूरभाष : ९४५७९३०६९५ |
दिसम्बर 2024
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