वक्त अपनों के लिए

राजेश का एक छोटा सा परिवार था—उसकी पत्नी और दो बच्चे। दोनों बच्चे माता-पिता के बड़े ही लाड़ले थे, पर दोनों को ही कार्य की व्यसतता के कारण बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए वक्त नहीं मिल पाता। उन्हें इस कारण विद्यालय में रोज डाँट पड़ती।

एक दिन वह अपने पिता के पास जाकर बोली, “पापा, मैं सारे गृहकार्य स्वयं नहीं कर पाती। मुझे एक प्राइवेट शिक्षक रख दीजिए, आप लोगों के पास तो हमें पढ़ाने के लिए वक्त मिलता नहीं!”

पिताजी बोले, “बेटा, प्राइवेट टीचर से अच्छा खान सर, ऋषभ रोहरा यूट्यूब के जाने-माने शिक्षकों से पढ़ो, बहुत अच्छी और बहुत कुछ सीख भी पाओगे। यूट्यूब ज्ञान का सागर है, यहाँ हर तरह की जानकारी मिल सकती है। हर तरह के लोगों के बीच रहने से अच्छे-बुरे की पहचान भी होती है। इसमें बहुत सारे मोटिवेशनल स्पीच भी मिलती है, जिससे तुम जिंदगी में बहुत आगे बढ़ सकते हो, गजब का आत्मविश्वास पैदा होता है।

बच्ची पिता के गोद में बैठ मौन हो सबकुछ सुनती रही, फिर खुद को रोक न सकी और बोली, “पापा, मानती हूँ, यूट्यूब ज्ञान का सागर है, इसमें हमें हर जानकारी प्राप्त हो सकता है, हम आत्मविश्वास के शिखर पर भी पहुँच सकते हैं, लेकिन आप लोगों के द्वारा सिखाए शब्द हमारे लिए एक अलग मायने रखता है, वह हमें अपनत्व का अहसास दिलाता है, हमें वह कहाँ से मिलेगा?

बच्चों की यह बात राजेश के मन-मस्तिष्क को झकझोर दिया, और उसी वक्त निर्णय लिया, चाहे कितना भी काम हो, मैं शाम को कम-से-कम दो घंटे बच्चों के साथ अवश्य बिताऊँगा। सोशल मीडिया से दूर अपनी छोटी सी दुनिया में खुशियों का बाग लगाऊँगा।

माता-पिता का साथ पाकर बच्चों के अंदर आत्मविश्वास की नई ऊर्जा का संचार हुआ और अब दोनों अपनी पढ़ाई में अच्छे नंबर पाने लगे जिससे राजेश शाह के आँगन में खुशियों की बगिया लहलहाने लगी। बच्चों के साथ-साथ माता-पिता के होंठों पर भी मुसकान खिल गई...

निकट-पी.एच.ई., पोस्ट-सुल्तानी छोरा

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