सुपरिचित रचनाकार। बदलते रिश्ते (कहानी-संग्रह), आठ साझा संकलन में रचनाएँ शामिल, ईश्वरचंद्र विद्यासागर की बांग्ला जीवनी का हिंदी में अनुवाद, लघुकथा-संग्रह ‘तिस’ व बाल एंकाकी-संग्रह ‘संकलप’ का प्रकाशन। आकाशवाणी से कहानियों और कविताओं का प्रसारण। साहित्य मंडल नाथद्वारा से ‘काव्य कौस्तुभ’ मानद उपाधि से सम्मानित।
पात्र-परिचय
विकास, प्रणय, सुष्मिता, अनुपम, कोचिंग के सर देवेश,
दादी, उत्तमा और उसके पड़ोसी पट्टूजी।
मंच सज्जा (मंच एक पारदर्शी साड़ी या पाॅलीथीन को पानी के बहाव का रूप देने और एक मटमैली चादर को कीचड़ के रूप में मंच से दिखाया जा सकता है)
(मंच में तीन किशोर और एक किशोरी बतिया रहे हैं।)
सुष्मिता : आज तुम लोगों के घर पानी आया क्या?
विकास : एक तो इतनी गरमी, ऊपर से पानी भी एक वक्त आ रहा है। जैसे ही पानी आता है, हम सब पानी भरने लगते हैं।
सुष्मिता : बात तो तुम्हारी सही है। हमारे घर में भी यही हाल है। पर हमारे आसपास के लोगों ने बूस्टर लगा रखा है।
अनुपम : सँभलकर, देखो कहीं से पानी का सैलाब आ रहा है।
प्रणय : ये पट्टूजी हैं। अपनी कार धो रहे हैं। कार धोते वक्त गाने सुनना इनका फेवरेट टाइम पास है।
अनुपम : (खींचकर) लेकिन पूरा शहर पानी की किल्लत से जूझ रहा है। ऐसे में ये पानी वेस्ट कर रहे हैं। पूरी पगडंडी में पानी फैल रहा है। इस कीचड़ में ही मच्छर पनपते हैं।
सुष्मिता : और हमें काटते हैं। पिछले महीने मेरी दादी को मलेरिया हो गया था। बड़ी मुश्किल से जान बची।
अनुपम : अरे, उनके पास के घर से भी पानी बह रहा है। शायद टंकी का वाल्व खराब हो।
विकास : यह उत्तमा आंटी का घर है। जब देखो, इनके घर से पानी बहता ही रहता है। यह आंटी तो बस मोबाइल पर लगी रहती हैं।
विकास : चलो, इन्हें समझाते हैं।
सुष्मिता : नहीं। आज अपने कोचिंग वाले सर से बात करते हैं। उनकी राय लेना ठीक होगा। (तभी आगे चल रही बुढ़िया पानी में फिसल जाती है।)
बालू बाई : नाश हो, सड़क में पानी फैलाने वालों का। कीड़े पड़ें। हम लोग कितनी दूर से एक-एक मटकी पानी लाते हैं। और ये अमीर लोग, यों पानी की तबाही करते हैं।
अनुभव, सुष्मिता : दादीजी, हमारा हाथ पकड़कर उठने की कोशिश करो।
(बालू बाई उनका हाथ पकड़कर उठ जाती है।)
बालू बाई : अब तो पानी सिर से ऊपर जा चुका है। जब देखो इधर पानी बहता ही रहता है। बेटा, आप लोग, उस कार वाले आदमी को बुलाना।
सुष्मिता : (किलकते हुए) अब आएगा मजा।
(सारे बच्चे ताली बजाते हैं। सुष्मिता सीटी बजाती है।)
दादी : अरे, यह छोरी होकर सीटी बजा रही है।
सुष्मिता : दादी, यह सीटी नहीं शंखनाद है। कहते हुए शंख बजाने का प्रयास करती है।
पट्टू : अकड़कर क्या बात है! मुझे डिस्टर्ब क्यों किया? गो गो मनी सिंह का लेटेस्ट गाना चल रहा है।
बालू बाई : बाबू साहब आपके फैलाए पानी से मैं फिसल गई थी। मेरी कमर में चोट आ गई है।
पट्टू : तो मैं क्या करूँ?
बालू बाई : मुझसे चला नहीं जा रहा। मुझे घर तक पहुँचा दो।
पट्टू : मैं अपने घर के पानी से कार धोता हूँ तो दूसरों को क्या परेशानी है?
सुष्मिता : हमारे पास भी कार है। एक भैया आते हैं। एक बाल्टी पानी से पूरी कार चमचमा देते हैं।
पट्टू : मेरे पास इतना टाइम नहीं है। पाइप से पाँच मिनट में पूरी कार धुल जाती है।
पट्टू : लेकिन अंकल, कितना पानी वेस्ट होता है।
अनुपम : अंकल, मेरी दादीजी कहती हैं, हमारे राजस्थान में एक कहावत है। ‘पाणी ढूलै तो म्हारो जी बळै। घी...।
पट्टू : पता है घी कितना महँगा होता है। पानी क्या है? इतना सस्ता तो है।
बालू बाई : साहब, आप लोगों के नल लगा है। आप लोगों को कभी कुएँ, बेरी या टंकी से पानी खींचना पड़ता तो पता चलता।
सुष्मिता : अरे, कोचिंग वाले सर की क्लास के लिए अपने को लेट हो रहा है। (सभी बच्चे पानी से बचते-बचते मंच के अंदर चले जाते हैं।)
बालू बाई : मैं तो पैलवानजी आपकी चौकी में बैठी हूँ। मेरे घरवालों को तो खबर कर दो।
दूसरा दृश्य
(कोचिंग क्लास में बच्चे अपने सीटों पर बैठते हैं। )
सर : आज इतने लेट कैसे?
प्रणय : सर, अनुपम रास्ते में फैले पानी में फिसल गया था।
सर : बेटा, चोट तो नहीं आई?
अनुपम : नहीं सर। हमारे साथ एक दादीजी भी फिसल गई थीं। उनको भी हमने उठाया।
सर : वैरी गुड। चलो अनुपम वाशरूम जाकर शर्ट व पैंट पर लगे दाग साफ कर लो।
प्रणय : सर, मुझे भी वाशरूम जाना है। सुस्ती सी छा रही है।
सर : जाओ। पानी कम इस्तेमाल करना।
सर : पानी के नल का वाशर खराब है। नल के नीचे लगी बाल्टी वापिस लगा लेना। (दोनों बच्चे अंदर चले जाते हैं।)
सर : हाँ तो बच्चो, तुम्हें पता है, हमारी धरती में पानी कितना है?
प्रणय : धरती से कई गुणा ज्यादा है।
सर : और पीने का पानी?
विकास : मतलब?
सर : जो पानी पीने के योग्य होता है। जिसे हम पेयजल कहते हैं।
सुष्मिता : अपरिमित होगा सर। क्योंकि ग्लेशियर, समुंदर, नदियों में ८० प्रतिशत से ९० प्रतिशत पानी तो जमा होगा।
सर : मैं पेयजल की बात कर रहा हूँ। समुंदर का पानी हम इनसानों के पीने व भोजन बनाने के काम नहीं आता। पूरे विश्व में पेयजल की कमी है। दूषित पानी के प्रयोग से हर साल लाखों लोग बीमार पड़ते हैं। हजारों लोग मर भी जाते हैं।
विकास : सर, वो फिल्टर क्यों नहीं लगाते? हमारे घर में पानी को फिल्टर करने का उपकरण है।
सर : बेटा, गरीबी की सीमा रेखा में रहने वाले लोग फिल्टर करने की मशीन कहाँ से खरीदेंगे? पूरे विश्व में स्वच्छ पानी १० से १२ प्रतिशत ही है।
विकास, अनुपम : (अंदर से आते हुए) सर, आपने नल के नीचे बाल्टी क्यों लगा रखी है? जरा सा तो पानी टपकता है।
सर : बेटा, बूँद-बूँद से ही तो सागर बनता है। पता है, शाम तक यह बाल्टी पूरी भर जाती है। फिर मैं दूसरी खाली बाल्टी लगा देता हूँ। इससे गरमियों में मुझे नहाने के लिए ठंडा पानी मिल जाता है।
सुष्मिता : इसे कहते हैं, आम के आम, गुठलियों के दाम। हमने भी एसी के मशीन के नीचे बाल्टी लगा रखी है। उस बाल्टी के पानी से मैंने केवड़े और मोगरे के पौधे लगा रखे हैं। मेरी मम्मी तो कपड़े धोने के पानी से पोंछा लगा लेती हैं।
सर : शाबाश। पढ़ाई के बाद मैं भी तुम्हारे साथ उन लोगों को समझाने जाऊँगा।
सुष्मिता : मेरी मम्मी कहती हैं, उत्तमा आंटी और पट्टू अंकल बहुत झगड़ालू हैं। उनसे तो बचकर रहने में ही भलाई है।
सर : देखो, उसी रास्ते से मेरी माँ सुबह घूमने जाती है। आज वह बूढी माँ फिसली है। कल मेरी माँ फिसल गई तो! चलो, अपनी-अपनी गणित की किताब का पेज नंबर २४ खोलो। पढ़ाई भी जरूरी है।
(परदा गिर जाता है।)
तीसरा दृश्य
उत्तमा : (बदहवास-सी दर्शकों से) अरे कोई है? जरा इस गाय को सीधा खड़ा कर दो। बिल्कुल मेरे घर के सामने पड़ी हुई है। (मंच पर सर और बच्चे प्रवेश करते हैं।)
उत्तमा : भाई साहब, जरा इन बच्चों के साथ मिलकर इस गाय को खड़ी कर दीजिए न।
सर : पहले एक बात का जबाव दीजिए, यह गाय आपके घर के सामने ही क्यों गिरी?
उत्तमा : मैं क्या जानूँ? होगी बीमार।
सर : नहीं। आपके फैलाए पानी के कारण यह रास्ता दलदल बन गया है। जमीन सोचकर इसने पाँव रखा होगा।
सुष्मिता : (गाय के पास जाकर) अरे, यह तो बालू बाई की गाय बिंदिया है। बेचारी की एक आँख भी खराब है। सर, बेचारी बालू बाई ने बड़ी मुश्किल से कर्जा लेकर यह गाय खरीदी थी। सर, इसका दूध बेचकर ही तो वह अपने दो अनाथ पोते-पोती को पाल रही है।
अनुपम : तुम्हें यह सब कैसे पता?
सुष्मिता : वह हमारे घर खाना बनाने आती है। मेरी दादी की सहेली है। पापा का खूब लाड़ रखती थी। सर, इस वक्त वो हमारे घर में होगी। आप उनको फोन करके यहाँ बुला लीजिए।
सर : तो उनको दादी बोलो ना। लो, मैं अभी उनको फोन करके बुला लेता हूँ। (मोबाइल ऑन करके) नमस्ते जी। आप तुरंत बालू देवी को पट्टूजी के घर के पास आने को कह दीजिए। उनकी गाय उत्तमाजी के घर के सामने गिरी पड़ी है।
प्रणय : मेरे पापा भी यही कहते हैं सर। कोई काम छोटा नहीं होता। बालू दादी हमारे यहाँ भी तीज-त्योहारों में पकवान बनाने में मम्मी का हाथ बँटाती हैं।
उत्तमा : तो उसे मेरी मदद के लिए बुलवाओ न। सुबह से काम करकर परेशान हो गई। (गाय के पास जाकर) लगता है, इसकी टाँग टूट गई है। वेटनरी डाॅक्टर को बुला लीजिए। बालू दादी को भी इसके इलाज के लिए हर्जाना देना पड़ेगा।
उत्तमा : मैं क्यों बुलाऊ वेटनरी डाॅक्टर को? मैं क्यों दूँ हर्जाना?
सर : वह राधे वकील बैठा है न, वह समझा देगा कोर्ट में आपको।
सुष्मिता : क्योंकि आपके व्यर्थ पानी बहाने से यह गाय फिसली है। सुबह इस फिसलन भरी जमी पर बालू दादी और अनुपम गिर गए थे। ऐसे लोग तो कानून की भाषा ही समझते हैं। (बाएँ हाथ में पट्टी बँधी हुई और छड़ी का सहारा लिये बालू बाई मंच पर आती है।)
बालू बाई : हाय रे मेरी बिंदिया!
पट्टू : (स्पोर्ट्स बाइक पर सवार होकर मंच पर आता है।)
पट्टू : (गाना गाते हुए) माई नेम इज पेनी, मेरे पास है ढेर सारा मनी, मेरी बातों में हनी, मेरे साथ तुम मौज उड़ाओ जानी। (थोड़ा आगे बढ़कर) अरे मेरे घर के सामने यह भीड़ कैसे जमा है? (दर्शकों के सामने आकर) लगता है, मुझे भी अपने फ्रेंड्स की तरह फॉरेन जाना पड़ेगा। यहाँ मेरे जैसे सिंगर की कोई वैल्यू ही नहीं है।
सर : देखिए आपके द्वारा पानी के अपव्यय का परिणाम। यह गौ माता फिसल गई है। शायद इसकी पैर की हड्डी टूट गई।
पट्टू : तो मैं क्या करूँ?
सर : अब तो जो करना है, पशु क्रूरता निरोधक समिति और कानून करेगा।
बालू बाई : मतलब?
सर : अभी तो मैं वेटनरी हस्पताल फोन कर देता हूँ। वे बिंदिया को गाड़ी में ले जाएँगे। इलाज के बाद बिंदिया बिल्कुल ठीक हो जाएगी।
बालू बाई : पर बेटा, गाड़ी का किराया? दवाई का खर्च?
सर : पहले हम चंदा करेंगे। फिर कोर्ट से आपको हर्जाना दिलवाएँगे। अभी तो आपके इलाज का पैसा भी वसूल करना बाकी है।
पट्टू, उत्तमा : (दर्शकों से) अरे, आप लोग कुछ करिए न। हम कोई अकेले पानी का अपव्यय करते हैं क्या? हमारे देश में कितने सार्वजनिक नल खुले पड़े रहते हैं। लोगों की टंकी ओवर फ्लो होती रहती हैं।
उत्तमा : लोगों ने तालाब पाटकर उसमें मकान बना लिये। लोग नदियों में कचरा डालकर प्रदूषित करते हैं। उनको पकड़ो न।
सुष्मिता : चैरिटी बिगेंस होम आई मीन नेबर। पहले पीने का रोज-रोज अपव्यय करने वाले पड़ोसियो से तो निपट लें।
सर : (वेटनरी हॉस्पिटल को फोन करते हैं।) हाँ, हाँ। सुभाष सर्किल के पास पीली कोठी के पास एंबुलेंस भेज दीजिए। थैंक्यू सर।
पट्टू : हाय राम! अब क्या करूँ?
उत्तमा : हाय मेरे पतिदेव का हैप्पी बर्थडे सेलिब्रेशन। क्या करें?
सभी बच्चे : (ताली बजाकर) हर्जाना भरना होगा। एक वादा करना होगा। पानी है अनमोल, इसकी हिफाजत करना होगा।
(बालू बाई और सर ताली बजाते हैं। )
(परदा गिर जाता है।)
ए-५९ करणी नगर, नागेनेचीजी रोड
बीकानेर-३३४००३ (राज.)
दूरभाष : ८९४७०६८०७०