टेसू के फूल
फागुन का मास
टेसू के फूल
शांत करे हृदय के शूल
उड़ती हुई धूल
और प्रेम का ये रंग
देखकर मन हुआ रंगारंग
प्रेम का प्रतीक टेसू के फूल
प्रेम ही प्रेम टेसू के फूल
इनका रंग मस्ती का रंग
इनका रंग होली का रंग
इनका रंग प्रीत का संग
मन में उठती इन्हें देख तरंग
जैसे भंग में डूबा कोई
जैसे कृष्ण की हँसी
जैसे मीरा की भक्ति
जैसे बाँसुरी के स्वर
जैसे मनमोहिनी मुसकान
जैसे खेतों में धान
जैसे नारी यौवन का मान
जैसे सुरीली कोई तान
टेसू और होली
प्रेम की, प्रीत की होली
टेसू के रंग से उन्माद प्रेम का
जैसे गहरा रंग न छूटे
उम्र भर प्रेम का
प्रणाम नवजीवन को
उगते हुए जीवन को प्रणाम
जीवन के आरंभ को प्रणाम
भोर वेला में उगते हुए सूर्यदेव
लालिमा से प्रकाश देते सूर्यदेव
जागरण का समय हुआ
सोते हुए को जगाया
पक्षियों के कलरव से, गाय के रँभाने से
बच्चों के स्कूल जाने से
जीवन उत्सव प्रारंभ होने से
अद्भुत होती है भोर, जंगल में नाचते मोर
आवश्यक है दर्शन भोर के सूर्य का
जो देता है बल, बुद्धि में विवेक
मंदिर में जलते दिए सा जीवन भोर का
आरंभ होता है जीवन के शोर का
कर्म के अकाट्य सिद्धांत की शिक्षा देते
उदित होते सूर्य से ही हम जीवन लेते
घरों में उबलती चाय की खुशबू,
चूल्हे में अग्नि की हल्की धू धू
शंख, अजान, घंटियों की पवित्र ध्वनि
अवनी से अंबर तक जीवन के मणि
भोर वेला का करो उठकर दर्शन
प्रकृति, जीवन, जीवित सब ओर
फैला रहे आकर्षण
प्रणाम सूर्य देव को, नई भोर देने के लिए
जीवन को कर्म पथ पर सजाने के लिए
पेड़ लगाएँ
आओ अपना कर्तव्य निभाएँ
सब मिलकर पेड़ लगाएँ
प्रकृति ने सबकुछ दिया
अनगिनत साँसें, जो ले रहे सब
पेड़-पौधों के माध्यम से जी रहे सब
अपने दुश्मन बनना छोड़ें
अपने पैरों पर कुल्हाड़ी न चलाएँ
जीवन से जीवन की ज्योति जगमगाएँ
आओ सब मिलकर पेड़ लगाए।
हरियाली से भर दिया जीवन
नदियों, तालाबों से रच दिया जीवन
बहुत कर लिया खिलवाड़ स्वयं से
आओ जीवन को प्रदूषण से बचाएँ
खुद को असमय की मृत्यु से बचाएँ
धरती को पानी से भर दें
पेड़ों को इतना लगाएँ,
उनके मध्य रहकर साँसों को साँस दे जाएँ
कोई ये न कहे, कभी होते थे पेड़
यदि ऐसा होगा तो कहना पड़ेगा
कभी होते थे मनुष्य
आओ जीव और जीवन को बचाएँ
आओ मिलकर पेड़ लगाएँ
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