सुपरिचित लेखक। अब तक कविता, कहानी, व्यंग्य, संस्मरण, उपन्यास, आलेख आदि विधाओं की लगभग दो दर्जन पुस्तकें प्रकाशित। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के साहित्य भूषण, हरि शंकर परसाई पुरस्कार, शरद जोशी पुरस्कार, राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान से एक लाख रुपए का पुरस्कार एवं ७५ अन्य सम्मान-पुरस्कार प्राप्त। कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भागीदारी।
शरत की कथाओं की तरह
क्लिष्ट संस्कृतमय ऋचाएँ
जगाती हैं इष्ट के प्रति श्रद्धा का भाव।
शरत की नायिकाएँ—हैं मानवी प्रेमिकाएँ,
मानव सम उनमें होती है मिलन की चाह,
जो नस-नस में भरती प्रीति का प्रवाह।
मैं चाहता हूँ उसको
शरत की कथाओं की तरह,
पर उसे प्यार चाहिए
वेदों की ऋचाओं की तरह।
मैं निहारना चाहता हूँ अपलक
उसके कृष्ण केश, सुंदर मुख, श्वेत अंग
सस्मित धवल दंतपंक्ति,
मेनका सम
जगाए जो अनंत आसक्ति।
अपने में छिपाना चाहता हूँ
उसको गुनाहों की तरह,
पर उसे प्यार चाहिए
वेदों की ऋचाओं की तरह।
मैं सुनना चाहता हूँ अनवरत
जलतरंग-सी झंकृत, उसकी ध्वनि,
कभी अवरोहित, कभी आरोहित,
कभी तरंगों पर मचलती,
कभी अंतस में तिरोहित।
मैं थिरकना चाहता हूँ उन पर
मचलती हवाओं की तरह,
उसे प्यार चाहिए, मौन
वेदों की ऋचाओं की तरह।
चाहिए मुझे निशि-दिवस संग,
मैं छूना चाहता हूँ उसका अंग-अंग,
कभी कुछ कहते, कभी कुछ सुनते,
कभी उदास, कभी खिलखिलाते
कभी रूठते, कभी मनाते।
मुझे चाहिए वह रास रचाती
गोपिकाओं की तरह,
उसे प्यार चाहिए
वेदों की ऋचाओं की तरह।
मैं चाहता हूँ उसको
शरत की कथाओं की तरह,
पर उसे प्यार चाहिए
वेदों की ऋचाओं की तरह।
मैं महाविनाशक ड्रोन हूँ
द्वापर की महाभारत का द्रोण हूँ,
अब कलियुग में कहलाता ड्रोन हूँ।
द्रोण ने बनाया था शिष्य अर्जुन,
शर-संधान जो करता मीन-नयन।
मुझ ड्रोन से भी बचना असंभव,
अचूक लक्ष्य पर शून्य कोण हूँ।
अंत का आवाहक यमदूत हूँ,
भूत बनाता हूँ, मैं भूत हूँ।
यम के महिष से कम गति नहीं,
विद्युत् तरंग का अग्निदूत हूँ।
यम से हूँ कहीं अधिक भयावह,
मैं अवधूत हूँ, इक कालदूत हूँ।
अभी शैशव है, अतः लगता प्रिय,
परंतु मानव जाति का अंत हूँ।
नियंत्रित कर लूँगा समस्त विश्व
जब फैल जाऊँगा दिग-दिगंत हूँ।
प्रत्येक मनुष्य होगा मेरा लक्ष्य
जब मैं बढ़ जाऊँगा अनंत हूँ।
रक्तबीज मानव उपजा रहा अनंत,
हमें मित्र समझ मना रहा वसंत;
शीघ्र ही करूँगा मानव का अंत,
धरा पर लाऊँगा मृत्यु का हेमंत।
मानव के इतिहास का मोड़ हूँ,
क्योंकि मैं महाविनाशक ड्रोन हूँ।
१/३७, विवेक खंड,
गोमती नगर, लखनऊ-१०
दूरभाष : ८८८७८७५२८९