RNI NO - 62112/95
ISSN - 2455-1171
जामुनवाली अम्माँ![]() मंजरी शुक्ला: सुपरिचित लेखिका। अब तक बाल- साहित्य की पाँच पुस्तकें। देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कहानियाँ आदि प्रकाशित। संप्रति कुरुक्षेत्र आकाशवाणी में एनाउंसर। स्वतंत्र रूप से साहित्य लेखन में रत। एक बादल बहुत नटखट था। इतना नटखट कि जामुन बेचनेवाली अम्माँ की टोकरी से जब देखो तब जामुन चुरा लेता था। आज दोपहर में जब जामुनवाली अम्माँ पेड़ के नीचे बैठी सुस्ता रही थी तो नटखट बादल ने पत्तों के झुरमुट से झाँका और टोकरी से एक या दो नहीं बल्कि पूरे दस जामुन चुरा लिये। जामुनवाली अम्माँ की टोकरी के बगल में बैठी झबरीली पूँछवाली गिलहरी भी कम शैतान नहीं थी, उसने झट से बोल दिया, ‘टोकरी में पूरे दस जामुन कम हो गए हैं।’ अम्माँ जैसे नींद से जागी। उन्होंने झटपट उठकर पेड़ के चारों तरफ देखा और किसी को नहीं पाकर वापस अपनी टोकरी के पास आकर बैठ गईं। उन्होंने जामुन की ढेरी को हाथ से टोहकर देखा और बोली, ‘जामुन तो किसी ने चुराए हैं, पर चुराए किसने हैं?’ जामुनवाली अम्माँ की नजर तभी हवा में तैरते हुए बादल के टुकड़े पर पड़ी। ‘हो न हो, इसी ने मेरे जामुन चुराए हैं।’ अम्माँ ने सोचा अम्माँ पहले तो अपने जामुन इधर-उधर ढूँढ़ती रही, पर जब उसे जामुन कहीं नहीं मिले तो उसे पक्का यकीन हो गया कि बादल ही चोर है। उसने अपने सिर पर जामुन की टोकरी रखी और बादलों के राजा के पास आसमान की ओर चल दी। बादलों के राजा को जैसे ही पता चला कि जामुनवाली अम्माँ उसके पास आ रही है तो वह झट से अपने रत्नजड़ित सिंहासन के पीछे छुप गया। जब राजा ही छिप गया तो भला दरबारी वहाँ क्यों रहते। राजा के छिपते ही बाकी बादल भी सिर पर पैर रखकर भाग खड़े हुए। जामुनवाली अम्माँ जब महल के अंदर पहुँची तो उन्हें कोई भी नजर नहीं आया। बहुत देर तक महल के अंदर ढूँढ़ने पर भी जब उन्हें कोई नहीं मिला तो वह थककर एक सुनहरे खंभे का सहारा लेकर खड़ी हो गई। इतने विशाल महल में वह अकेले खड़ी हुई थी। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक सारे बादल चले कहाँ गए! तभी उनकी नजर एक चूहे पर पड़ी, जो अलसाया सा सुनहरे कपड़े के ऊपर लेटा हुआ था। जामुनवाली अम्माँ ने उसके पास जाकर पूछा, ‘सारे बादल कहाँ गए?’ ‘पागल कहाँ चले गए, यहाँ कोई पागल नहीं रहता है तो जाएँगे कहाँ?’ चूहे ने एक आँख खोलकर कहा, जामुनवाली अम्माँ गुस्से से बोली, ‘तुम बहरे हो क्या?’ ‘हरे हो क्या? अरे, जामुन क्या तुम्हारी आँखों में लग गए हैं? मेरा काला रंग देखने के बाद भी पूछ रही हो कि मैं हरा हूँ या काला?’ ‘पता नहीं इस कलूटे को बादल अपने साथ क्यों नहीं ले गए?’ कहते हुए जामुनवाली अम्माँ इतनी जोर से चिल्लाई कि उनका गला दर्द करने लगा, चूहे ने अँगड़ाई ली और बोला, ‘मुझे कलूटा बोला, अब तो कुछ भी नहीं बताऊँगा।’ जामुनवाली अम्माँ कुछ कहती, इससे पहले ही चूहे ने अपने सुनहरे पंख फैलाए और उड़ गया। ‘उड़नेवाला चूहा, कहीं यही तो मेरे जामुन नहीं ले जाता है।’ बुढ़िया ने सोचा, तभी चूहा चिल्लाया, ‘ऐसा सोचना भी मत। मैं जामुन क्यों चुराऊँगा, मुझे तो वैसे भी जामुन बिल्कुल पसंद नहीं हैं?’ जामुनवाली अम्माँ सकपका गईं और बुदबुदाई, ‘यह चूहा तो मन की बात जान जाता है और उस समय यह बहरा भी नहीं रहता है।’ तभी गुलाबी बादल वहाँ उड़ते हुए आया और बोला, ‘अब क्या हमारे महल में ही रहने आ गई हो, यहाँ से जाओगी नहीं क्या?’ जामुनवाली अम्माँ बोली, ‘जब तक मैं चोर बादल की शिकायत बादलों के राजा से नहीं कर लूँगी, मैं यहाँ से नहीं जाऊँगी।’ ‘जब तुम उस बादल को पहचानती ही नहीं हो तो फिर उसकी शिकायत करोगी कैसे?’ गुलाबी बादल ने हँसते हुए कहा। जामुनवाली अम्माँ ने सिर से टोकरी उतारकर नीचे रख दी और बोली, ‘यह तो मैंने सोचा ही नहीं था। अब मैं क्या करूँ?’ ‘तुम्हें कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे तुम्हें पता चल जाए कि जामुन चुराता कौन है?’ गुलाबी बादल बोला। जामुनवाली अम्माँ ने एक नजर अपने जामुनों की ओर देखा। हीरे-मोती से चमकते हुए सफेद रंग के जामुन चारों तरफ अपनी रोशनी बिखेर रहे थे। रात हो रही थी। जामुनवाली अम्माँ ने कुछ सोचते हुए सिर पर टोकरी रखी और महल से चल दी। रास्ते में उसे कई बादल दिखे, जो जोर-जोर से हँस रहे थे। तभी कोई बादल बोला, ‘जामुनवाली अम्माँ, तुम कभी नहीं जान पाओगी कि तुम्हारे जामुन चुराता कौन है?’ जामुनवाली अम्माँ ने कहा, ‘मैंने अपने बाल ऐसे ही धूप में सफेद नहीं किए हैं। पता तो मैं कर ही लूँगी।’ ‘पता चल जाए तो हमें भी बताना।’ कहते हुए बादल खिलखिलाकर हँस दिया। जामुनवाली अम्माँ चोर के बारे में सोचती हुई चली जा रही थी। तभी उन्होंने देखा कि चाँद उनकी तरफ मुसकराते हुए चला आ रहा था। चमकीले चाँद की खूबसूरती को देखकर जामुनवाली अम्माँ मंत्रमुग्ध रह गई। चाँद के चारों ओर से चमकीली रोशनी झर रही थी। टिम-टिम करते तारे उछलते-कूदते हुए चाँद के पीछे-पीछे चले आ रहे थे। जामुनवाली अम्माँ को देखकर चाँद रुका और बोला, ‘ओह! जामुनवाली अम्माँ!’ जामुनवाली अम्माँ चाँद को निहारते हुए बोली, ‘कोई बादल मेरे जामुन चुरा लेता है। उसी की शिकायत करने के लिए बादलों के राजा के पास गई थी।’ ‘कर दी शिकायत?’ चाँद ने पूछा। ‘कैसे करती? पूरा महल ही खाली था।’ जामुनवाली अम्माँ उदास होते हुए बोली, ‘महल कैसे खाली था? सारे बादल कहाँ चले गए?’ बादल ने सोचते हुए कहा। ‘पता नहीं। अब मैं वापस जा रही हूँ।’ जामुनवाली अम्माँ रोआसे स्वर में बोली। ‘मेरे साथ चलो न, मेरी अच्छी जामुनावली अम्माँ।’ चाँद ने जामुनवाली अम्माँ का हाथ पकड़कर मनुहार करते हुए कहा। जामुनवाली अम्माँ निहाल हो गईं। इतने प्यार से तो उनसे बहुत सालों में कोई नहीं बोला। जामुनवाली अम्माँ की आँखें भर आईं और न चाहते हुए भी उनकी रुलाई फूट पड़ी। चाँद की चमकीली किरण ने जामुनवाली अम्माँ को गुदगुदी करते हुए कहा, ‘हम सब आपके जामुन चुरानेवाले को ढूँढ़ लेंगे।’ जामुनवाली अम्माँ खिलखिलाते हुए हँस दी। चाँद बोला, ‘और अब अम्माँ को हम सब नाच कर दिखाएँगे।’ चमकीली किरण और सितारे गोल-गोल घूमकर गाने लगे और नाचने लगे। गोल मटोल चाँद कमर पर हाथ रखकर मटकने लगा। जामुनवाली अम्माँ इतना हँसी, इतना हँसी कि उनकी आँखों से आँसू बहने लगे। देर रात तक नाचने-गाने के बाद चाँद, सितारे और चमकीली किरण अम्माँ का हाथ पकड़कर उन्हें चंद्रलोक ले गए। तभी किसी ने बाँसुरी बजाकर मधुर तान छेड़ी और संगीत की स्वर लहरियाँ गूँजने लगीं। अम्माँ ने आश्चर्य से इधर-उधर देखा और कहा, ‘ये तो बादलों के राजा के महल की ओर से आवाजें आ रही हैं।’ ‘हाँ, बादलों के राजा को संगीत का बहुत शौक है।’ चाँद ने कहा, ‘पर मैं तो बहुत देर तक महल के अंदर खड़े होकर उनका रास्ता देख रही, पर पूरा महल खाली था।’ जामुनवाली अम्माँ ने आश्चर्य से कहा। ‘मुझे लगता है कि जामुन चुरानेवाले बादल को पता चल गया था कि जामुनवाली अम्माँ राजा के पास शिकायत करने जा रही हैं, इसलिए उसने सबको महल से बाहर भेज दिया होगा।’ चाँद ने कुछ सोचा और बोला, ‘एक जामुन मुझे देना।’ जामुनवाली अम्माँ ने झट से एक बड़ा सा रसीला और मुलायम जामुन टोकरी से निकाला और चाँद को दे दिया। जगमगाते हुए सफेद रंग के बड़े से जामुन पर चाँद ने अपना हाथ फेरा और उसे टोकरी में रख दिया। पलक झपकते ही टोकरी के सारे जामुन बैंगनी रंग के हो गए। ‘अरे, यह क्या कर दिया?’ जामुनवाली अम्माँ चीखी। ‘अब जब भी कोई तुम्हारे जामुन खाएगा तो उसकी जीभ बैंगनी रंग की हो जाएगी और तुम्हें आसानी से चोर का पता चल जाएगा।’ चाँद ने मुसकराते हुए कहा। जामुनवाली अम्माँ खुशी के मारे निहाल हो उठी और बोली, ‘मुझे एक डंडा भी दे दो। जब भी कोई जामुन चुराएगा तो मैं उसे डंडे से मारूँगी।’ चाँद के साथ-साथ चमकीली किरण और टिमटिमाते हुए सितारे भी जोरों से हँस पड़े। चाँद ने हवा में हाथ लहराया और सफेद रंग का एक डंडा उसके हाथ में आ गया। जामुनवाली अम्माँ ने खुश होते हुए डंडा पकड़ा और बोली, ‘अब ये टोकरी मैं बादलों के राजा के महल के पास रख देती हूँ। जो भी चोर होगा, वह टोकरी में जामुन देखकर ललचा जाएगा और मेरे जामुन जरूर खाएगा, फिर मुझसे यह डंडा खाएगा।’ चाँद हँस दिया और बोला, ‘हाँ, और उसके बाद आ जाना, तुमसे इतना प्रेम हो गया है कि न जाने क्यों, तुम्हें जाने देने का मन नहीं हो रहा है।’ चाँद का स्नेह देखकर अम्माँ की आँखों में आँसू उमड़ आए। साड़ी के पल्लू से आँखें पोंछते हुए उन्होंने सिर पर जामुन की टोकरी रखी और डंडा पकड़े हुए महल की तरफ चल दीं। स्वर्णिम रोशनी से चमचमाते हुए महल को देखकर जामुनवाली अम्माँ तो पलभर को भूल ही गई कि वह आई किसलिए थी। उन्होंने सोचा, अगर कोई जामुन चुराता है तो चुरा लेने दो, कौन जाकर शिकायत करे, पर दूसरे ही पल उन्हें लगा कि इस तरह तो वह चोर का साथ दे रही हैं। आज वह जामुन चुरा रहा है, कल कुछ और चुराएगा, परसों कुछ और...! नहीं, नहीं, वह किसी को गलत मार्ग पर आगे नहीं बढ़ने देगी और उन्होंने झट से जामुन की टोकरी महल के बाहर रख दी और सफेद फूलों के गुच्छों से लदे हुए पेड़ की ओट में जाकर खड़ी हो गईं। थोड़ी ही देर बाद बादलों का राजा अपने संगी-साथियों के साथ महल से बाहर आया और टोकरी देखकर आश्चर्यचकित रह गया। उसने गुलाबी बादल से पूछा, ‘ये गोल-गोल बैंगनी रंग के क्या हैं और ये टोकरी यहाँ पर किसने रखी?’ ‘पहरेदार तो सब महल के अंदर नृत्य कर रहे हैं, अब किससे पूछें?’ गुलाबी बादल ने टोकरी को देखते हुए कहा। तभी बादलों का राजा खुशी से चिल्लाया, ‘अरे, यह टोकरी मैं पहचानता हूँ। यह तो जामुनवाली अम्माँ की टोकरी है, जिससे मैं रोज जामुन चुराकर लाता हूँ। पर ये जामुन सफेद से बैंगनी कैसे हो गए?’ जामुनवाली अम्माँ हतप्रभ रह गईं। उन्होंने सोचा, जब राजा ही चोर है तो वह शिकायत किससे करें? तभी लाल बादल बोला, ‘हम इस टोकरी पर जादू कर देते हैं, यह टोकरी इतनी भारी हो जाएगी कि जामुनवाली अम्माँ इसे वापस लेकर कभी नहीं जा पाएगी।’ बादलों के राजा का चेहरा खुशी से चमक उठा। उसने एक जामुन उठाया और मुँह में रखा। ‘यह तो जामुन ही है, नरम, रसीला और स्वादिष्ट, सिर्फ इसका रंग बदल गया है।’ बादलों का राजा बोला। ‘रंग तो आप का भी बादल गया है। आप सफेद चमकीले बादल से बैंगनी बादल हो गए हो।’ लाल बादल हँसते हुए बोला। तभी जामुनवाली अम्माँ पेड़ की ओट से बाहर निकलकर आई और डंडा लेकर बादलों के राजा के पीछे दौड़ी। घबराते हुए राजा ने उड़ना शुरू कर दिया और न जाने कहाँ गायब हो गया। जामुनवाली अम्माँ ने अपनी टोकरी उठानी चाही, पर वह टोकरी अपनी जगह से हिली भी नहीं। ‘मैं मुफ्त में तो अपने जामुन नहीं खाने दूँगी, चाहे मुझे आसमान में ही क्यों न रहना पड़े।’ जामुनवाली अम्माँ ने गुस्से में कहा और अपना डंडा लेकर चाँद के पास चली गई। आज भी जामुनवाली अम्माँ चाँद पर डंडा पकड़े हुए बैठी है और अपने जामुनों की रखवाली कर रही है।
मंजरी शुक्ला
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