नन्हीं चींटी

नन्हीं चींटी

हास्य-व्यंग्य के प्रख्यात कवि-लेखक। बाल-साहित्य में भी दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित। इन दिनों भी लेखन में सक्रिय। टी.वी. के अनेक चैनलों पर हास्य-व्यंग्य की फुलझडि़याँ गुदगुदाती हैं।

एक थी नन्हीं चींटी। प्यारी-प्यारी स्वीटी-स्वीटी। एक दिन मैंने देखा, मेरे पास सड़क के इस पार खड़ी थी। मेरे साथ सड़क को पार करना चाहती थी।

‘अरे-अरे! तुम यह क्या करती हो, दौड़ते हुए वाहनों के बीच में से सड़क पार करना चाहती हो, यहीं से पीछे लौट जाओ।’

चींटी ने मुझे देखा, ‘बोली, क्या कहते हो कवि! मुझे सड़क पार करके आगे जाना है।’

‘मगर कैसे? ऐसे तो तुम इतनी बड़ी लंबी-चौड़ी सड़क पार नहीं कर सकतीं।’

तभी पीछे से हवा का एक तेज झौंका आया। नन्हीं चींटी हवा के साथ उड़ गई। मैंने देखा, ‘अरे किधर गई?’

मैंने सड़क पार की, देखा चींटी वहाँ मौजूद थी।

‘अरे! तुम तो सचमुच सड़क पार करके आ गईं, गजब है।’

चींटी ने कहा, ‘हाँ कवि, सुनो एक बात पते की, जिनके पास अपना हौसला होता है, उनके ही पक्ष में फैसला होता है।’

नन्हीं चींटी मुझे अपना प्यारा संदेश देकर चली गई।

४३, लक्ष्मीपुरी, सराय हकीम

अलीगढ़ (उ.प्र.)

दूरभाष : ०९८९७०६७२७६

—प्रेम किशोर ‘पटाखा’

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