जीवन को महकाते

जीवन को महकाते

सुपरिचित रचनाकार। ‘सबसे प्यारा देश हमारा’, ‘बच्चे मन के सच्चे’ (बाल कविता-संग्रह), ‘मैं मृत्यु को पछाड़ दूँगा’ (काव्य-संग्रह)  प्रकाशित। ‘नव किरण’ त्रैमासिक व ‘बाल किरण’ द्वैमासिक पत्रिका का संपादन। ‘साहित्य सरोवर’ सम्मान, ‘काव्य भगीरथ सम्मान’ सहित दो दर्जनों से अधिक साहित्यिक पुरस्कार।

तोताजी की साइकिल

मोहन सुंदर तोता लाए,

उसे प्रेम से पाला।

बात करे वह मीठी-मीठी,

लगता खूब निराला॥

मोहन की थी नई साइकिल,

तोता के मन भाया।

उलट-पुलटकर देखा उसको,

दिन भर उसे चलाया॥

बैठ साइकिल पर तोताजी,

खेल कई दिखलाते।

साहब जैसा रोब बनाते,

मंद-मंद मुसकाते॥

चला साइकिल मौज मनाते,

तोताजी थक जाते।

सोकर जब उठते तोताजी,

हरी मिर्च को खाते॥

उन्हें साइकिल बहुत सुहाई,

पीली है मतवाली।

जीवन में अब तोतेजी को,

मिली बहुत खुशहाली॥

फूलों-सा हम रहना सीखें

कई रंग के फूल खिले हैं,

महक रहा घर-आँगन।

लाल-हरे-पीले फूलों से,

गमका मेरा उपवन॥

जाड़ा-गरमी सहते रहते,

जीवन को महकाते।

दुःख में भी हँसते रहना है,

हमको फूल बताते॥

मेरी बिटिया फूलों से सच,

करती है खूब प्यार।

उन्हें लगाए, उन्हें सजाए,

उनका करे मनुहार॥

फूलों से वह बतियाती है,

उनको देती पानी।

अपने दिल की वह बात कहे,

उनकी सुने कहानी।

गेंदा, गुलाब और चमेली,

उपवन में फूल खिले।

फूलों से महके सबका मन,

खुशियाँ नित हमें मिले॥

फूलों-सा हम रहना सीखें,

खुशबू हम महकाएँ।

दुःख आए, चाहे सुख आए,

जीवन में हरषाएँ॥  

प्यारे-प्यारे चिम्मन लाल

प्यारे-प्यारे चिम्मन लाल।

करते हैं वह बड़ा कमाल॥

तीन साल के अभी हुए हैं,

पलटा करते रोज किताब।

भैया के पढ़ने-लिखने का,

रखते हैं सच वही हिसाब॥

करते हैं वह नया धमाल।

प्यारे-प्यारे चिम्मन लाल॥

दादी का वह ऐनक पहने,

साहब खुद को वह बोलें।

कमरा बंद करें अंदर से,

जल्दी नहीं उसे खोलें॥

कोई न समझे उनकी चाल।

प्यारे-प्यारे चिम्मन लाल॥

झटपट कपड़े पहना करते,

पापा के संग जाते हैं।

रंग-बिरंगे खेल-खिलौने,

ढेर-ढेर ले आते हैं॥

जब खेलें होते बेहाल।

प्यारे-प्यारे चिम्मन लाल॥

दादीजी की दवा छिपाते,

वे फिर ढूँढ़ा करती हैं।

इधर-उधर सामान करें सब,

चपत न मम्मी धरती हैं॥

मम्मी होती खूब निहाल।

प्यारे-प्यारे चिम्मन लाल॥

हम सीखें सूरज दादा से

सुबह-सवेरे उग जाते हैं,

प्यारे सूरज दादा।

सारा जग रोशन करने का,

पूरा करते वादा।

नियत समय पर दादा लाते,

सुखमय नवल प्रभात।

विभावरी का मिटे अँधेरा,

दें ज्योति की सौगात।

कभी नहीं आलस करते हैं,

करते नहीं बहाना।

जलते रहते पूरा दिन भर,

न हो उनका सुस्ताना।

जाड़ा, गरमी या हो बरसात,

अपना फर्ज निभाते।

करें शिकायत नहीं किसी से,

किरण पुंज फैलाते।

हम सीखें सूरज दादा से,

रोज समय से जगना।

पढ़-लिखकर जीवन नेक बनें,

नित हो आगे बढ़ना।

मोहल्ला-बरगदवा (नई बस्ती),

निकट गीता पब्लिक स्कूल

पोस्ट-मड़वा नगर (पुरानी बस्ती), बस्ती-२७२००२ (उ.प्र.)

दूरभाष : ७३५५३०९४२८

 

 

जुलाई 2024

   IS ANK MEN

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