चिड़ियाँ : दो कविताएँ

१. पार्क में

नन्हे पार्क में वे सुबह-सुबह आते हैं

न उन्हें फलों की हँसी दिखाई पड़ती है

न हवा में तरंगित पेड़-पौधों का सम्मोहन

वे सीधे चले जाते हैं पत्थर की एक बेंच के पास

और छींट आते हैं ज्वार-बाजरे के कुछ दाने

सोचते हैं—

चिड़ियाँ आएँगी

दाने खाएँगी

और तैयार करेंगी उनके लिए स्वर्ग की सीढ़ी

चलते समय

उनके दाता हाथों में छटपटा रहे होते हैं

नुचे हुए कुछ खिले-अधखिले फूल

लेकिन जब तक वे होते हैं

चिड़ियाँ नहीं दिखाई पड़तीं

न जाने वे कहाँ-कहाँ छिपी होती हैं

डरी हुई-सी।

आज मैं थोड़ी देर से पार्क में पहुँचा

तो वहाँ मानुस जाति का कोई नहीं था

वहाँ थीं चिड़ियाँ, चिड़ियाँ और चिड़ियाँ...

चारों ओर चहचहाती हुईं

ठंडे पानी में मस्ती से नहाती हुईं

चोंच में दाने भर-भरकर उड़ती हुईं

कुछ दूर जाकर

अनोखी अदा से फिर मुड़ती हुईं

अब दाने उनके लिए केवल दाने थे

उनसे नहीं जुड़ा था किसी आदमी का पुण्यकर्म

मुझे लगा—धूप गुनगुना रही है

फूलों की हँसी पर

एक आश्वस्त आभा घरघरा रही है

मैं अपनी उपस्थिति का दबाव डाले बिना

चुपचाप डूबा रहा इस महोत्सव में देर तक...

२. आँगन में

चह-चह-चह-चह...

“अरे, रुको बच्चो!”

घर में प्रवेश करते हुए पत्नी ने कहा

चह-चह-चह-चह...

“अरे, रुको शैतानो,

आज थोड़ी देर हो गई

तो आसमान सिर पर उठा लिया।”

चह-चह-चह-चह...

सैकड़ों गौरैयों का झुंड बेचैन-सा

मेरे आँगन में चक्कर काटता रहा

कभी आँगन में स्थित

अमरूद के पेड़ पर बैठकर

हल्ला करता रहा

पत्नी को देखते ही

उनके इर्द-गिर्द उड़ानें भरने लगा

चह-चह-चह-चह...

कहाँ थी, कहाँ थी...

“अरे बच्चो,

मैं समझ रही हूँ कि

विलंब होने से तुम लोग नाराज हो

पर क्या करती

दूध लेकर लौट रही थी

तो रास्ते में एक बूढ़ा आदमी मिल गया

जो न जाने कब से एक पता खोज रहा था

उसे वहाँ पहुँचाकर आ रही हूँ।”

“चह-चह-चह-चह...

अच्छा किया, अच्छा किया”

“पूजा?

नहीं-नहीं, मेरे बच्चो

पहले तुम्हारी पेट-पूजा।”

पत्नी ने आँगन में चावल बिखेर दिए

और मुसकराकर खड़ी हो गई

चिड़ियाँ उनके पास बच्चों की तरह

फुदकती रहीं

दाने चुगती रहीं

और दिन भर की उड़ान समाती रही

उनके पंखों में चुपचाप

अब वे चुप थीं

किंतु उनकी चुप्पियाँ गा रही थीं

और पेड़ के पत्ते-पत्ते पर

छूटे हुए उनके स्वर

फूल की तरह खिल रहे थे

एक सुबह उभर रही थी

इस घर में स्वर्णमंदिर की तरह।

बी-२४, ब्रह्म‍ा अपार्टमेंट्स, सेक्टर-६,

प्लॉट-६, द्वारका, दिल्ली-११००६५

दूरभाष : ६३०३१०५२९९

जुलाई 2024

   IS ANK MEN

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