रंगों का त्योहार

दौड़ा-दौड़ा फिर आया,

रंगों वाला त्योहार।

ये ऋतु बसंत बीत गई,

बरसा फागुन का प्यार।

फसल पकी खेतों में अब,

आई कटन की बारी।

अबीर-गुलाल के संग,

हुई सब की तैयारी।

फागुन गीत गाएँ सभी,

करे हैं खूब ठिठोली।

बच्चों के मन को भाती,

अपनी अनोखी होली।

स्वागत हो गरमी का यों,

बजे हैं ढोल-नगाड़े।

झूम-झूम बस्ती में सब,

अलग ही झंडे गाड़े।

भेदभाव भूल सभी फिर,

मिलते आपस में गले।

पानी की बौछार संग,

रंग मुख पर खूब मले।

आपस में घुल-मिल जाए,

सब रंग भरा संसार।

दौड़ा-दौड़ा फिर आया,

रंगों वाला त्योहार।

पितृकृपा, ४/२५४, बी-ब्लॉक,

हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी,

पंचशील नगर, अजमेर-३०५००४ (राज.)

जुलाई 2024

   IS ANK MEN

More

हमारे संकलन