RNI NO - 62112/95
ISSN - 2455-1171
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हिंदी, भारत माँ की बिंदीहिंदी से सजती भारत की भाषाएँ, सब मिल गाएँ भारत की गाथाएँ। विश्व में फैले इसके गान, ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ इसकी शान। हिंदी ही अपनाएँ हम, भारत का भाल उठाएँ हम। विश्वभगिनी कहलाए हिंदी, भारत का मान बढ़ाए हिंदी। विश्व भाषाओं को गले लगाना, सारी बहना, मिलकर बहना। माँ का गहना बनी सब रहना, जय-जय हिंदी, जय भारत माँ, विश्व पटल पर शोभित गान। ‘सात समंदर मसि करै, लेखनी सब वनराई। धरती सब कागद करै, हिंदी गुण लिखा न जाई।’ आओ, सब मिल गाएँ हिंदी गान, विश्व में गूँजे हिंदी सम्मान। मृदुला सिन्हा राजभवन, गोवा |
मई 2024
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