चाह एक गुलाब की

जन्माष्टमी की रात महज छह साल की अबोध मुनिया ठाकुरजी के चरणों में बैठी दीन-हीन स्वर में गुहार लगा रही थी—“हे केशव, आप अंतर्यामी हैं, आपको तो सब पता है कि मेरे मन में क्या उथल-पुथल चल रही है? हे पार्थ! दुनिया में जो आपका परम भगत है, मेरी मम्मी उससे सहस्र गुना आपकी पूजा में मगन रहती हैं। मौसम कोई हो, वे कितनी भी बीमार क्यों न हों, नियम से आपको नित सवेरे स्नान कराती हैं, विधिपूर्वक आपकी पोशाक बदलती हैं और यथाशक्ति आपको प्रसाद का भोग भी लगाती हैं। होश सँभालने के बाद से ही आपके प्रति मैं उनकी यह अटूट श्रद्धा देखती आ रही हूँ।
हे गिरधर गोपाल, मेरी दादी यों तो बड़ी अच्छी हैं, पर उन्हें इस बार हर हाल में एक लड़का चाहिए। वे कहती हैं कि बेटियों से वंश नहीं चलता। मम्मा बताती हैं कि मेरे जन्म के समय भी दादी ने दादाजी से कहा था—लो, बहू पहली बार ही शिला लेकर आ गई। भगवन्, यह सुनकर मैं हक्की- बक्की रह गई कि लड़कियाँ परिवार में शिला होती हैं क्या? दादी के मुँह से यह सुनने के बाद मैं जैसे पाषाण बन गई थी। मेरे पापा यों तो सीधे-सादे हैं, पर इस मामले में वे या तो चुप रहते हैं या अपनी माँ के पक्ष में।
“एक बात और है प्रभु, मेरी चाची की गोद में दूसरी बार फिर भैया आया है, जिसकी हम सबको बहुत खुशी है। इसलिए हे मुरारी, मैं आपसे अपने जीवन की पहली और अंतिम इच्छा में यही माँगती हूँ कि आप मेरी मम्मी की गोद में इस बार लड्डू गोपाल दें। यदि ऐसा नहीं हुआ तो बाँके बिहारी, मेरी दादी मेरी मम्मी का जीना हराम कर देंगी। हे कृपानिधान, मुझे डर है कि मेरी मम्मी दादी के तानों से तंग आकर कहीं अपनी जान ही न दे दें। ऐसे में प्रभु, मैं भी बिना माँ के जीकर क्या करूँगी? हे माधव, आप मेरी यह छोटी सी प्रार्थना सुनकर मेरी मम्मी को मौत के मुँह से बचा लेना। कहीं ऐसा न हो चक्रधर कि आपकी वजह से हम तीनों प्राणियों को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ जाए। मेरी मम्मा के आँचल में आप केवल एक गुलाब का फूल डालकर पूरे पौधे को बचा सकते हैं नंदलाल, केवल एक गुलाब का फूल डालकर!”
मुनिया अपने कान्हा की तरफ एकटक देखे जा रही थी कि तभी किशनजी के शीश पर रखा फूल नीचे गिरा, जिसे मुनिया तुरंत अपने दोनों हाथों में सहेजकर अपनी मम्मी के आँचल में रखने को दौड़ पड़ी।
माँ की गोद में रखे उस फूल पर मम्मी की आँखों से टपक रहे मोती मुनिया के मन के भावावेग में एक अकल्पनीय खुशी का संचार कर रहे थे।

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