RNI NO - 62112/95
ISSN - 2455-1171
आपका शुभचिंतक, यमराज!![]() सुपरिचित लेखक एवं व्यंग्यकार। देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का निरंतर प्रकाशन।
अबकी दफा होरी फिर मरने के लायक हुआ तो सही, पर पंडित मातादीन ने कोरोना के चलते उससे उसके घर जाकर गऊदान करवाना तो छोड़ो, अपने घर से ही मंत्र पढ़ उससे गऊदान करवाने को भी साफ इनकार कर दिया। तब थक-हारकर गोबर ने सोचा कि क्यों न अबके पंडितजी के बदले अस्पताल के रास्ते होरी को स्वर्ग भेजा जाए। बहुत हो लिए पंडितजी के झूठे आश्वासनों के बाद स्वर्गलोक जाने के बदले फिर चौथे ही दिन होरी के जन्म लेने के किस्से। गोबर ने बंद फैक्टरी से छुट्टी ली और होरी को अस्पताल ले आया। तब धनिया ने गोबर को होरी को शहर अस्पताल ले जाने से बहुत रोका भी, “रे गोबर! होरी पर क्यों बेकार पैसा खर्च करता है। इसको तो हर जन्म में समय से पहले मरने की आदत है। मुझे पता है, होरी जब-जब बीमार हुआ है, तब-तब इसके ठीक होने के चांस जीरो ही रहे हैं। सात जन्मों से नहीं, बीसियों जन्मों से इसके साथ रहते इसकी इस बीमारी से मैं अच्छी तरह वाकिफ हूँ।” पर गोबर नहीं माना तो नहीं माना। होरी को घर में भी मरना था और अस्पताल में भी। सो वह अस्पताल में भी मर गया। होरी के मरने के बाद डॉक्टर साहब ने गोबर की पीठ थपथपाकर उससे कहा, “गोबर! गुड लक! होरी चला गया! इसको अबके मोक्ष हमारे हाथों मिलना था। ज्यादा खर्च नहीं करवाया उसने तुम्हारा। वरना कई बाप तो अपने बेटों का यहाँ आकर इतना खर्च करवा देते हैं कि उन्हें अपने बाप के इलाज के लिए बैंक से लोन तक लेना पड़ता है और रोगी होते हैं कि उसके बाद भी हमारे हाथों से बच नहीं पाते। ठीक ही हुआ, उसे इस जन्म से फिर मुक्ति मिली।” “पर डॉक्टर साहब! जो बापू थोड़ा और जी लेते तो अगला जन्म होने की पीड़ा से तो तनिक दूर रहते।” “अब होरी का टेस्ट करना पड़ेगा।” “मरने के बाद भी टेस्ट?” “हाँ गोबर! आजकल मरने के बाद भी टेस्ट होते हैं। जानते नहीं, इन दिनों यमराज भी उन्हीं आत्माओं को अपने यहाँ इंट्री दे रहे हैं, जिनके पास मरने के बाद बगल में केवल उसके निगेटिव होने का सर्टिफिकेट हो।” “पर साहब! जब मर गए तो क्या निगेटिव और क्या पॉजिटिव?” गोबर ने जेब मलते हुए कहा। “तुम नहीं जानते, इन दिनों मत्युलोक से पॉजिटिव होकर जाना कितना बड़ा अपराध है। हत्या से भी बड़ा अपराध। यमराज जीव का हर पाप क्षमा कर सकते हैं, पर उसके पॉजिटिवपन को कतई माफ नहीं कर रहे। सच पूछो तो पॉजिटिव अत्माओं की इंट्री इन दिनों यमलोक में पूरी तरह बंद है। आदमी तो आदमी, इन दिनों वहाँ पॉजिटिव भगवान् भी पूरी तरह बैन हैं।” “मतलब?” “कोई बात नहीं। जहाँ बेकार के टेस्टों पर इतने खर्च कर दिए, वहाँ मरने के बाद एक टेस्ट और सही। क्या हुआ जो यहाँ होरी चैन से न रह सका। इस टेस्ट के बाद कम-से-कम ऊपर तो होरी चैन से जा सकेगा। डरो मत! मरने के बाद के टेस्ट से आत्मा को कोई दर्द नहीं होता।” ...और गोबर बापू के आखिरी टेस्ट को मान गया, इस इरादे से कि जिंदा-जी जिस होरी का प्रवेश हर जगह वर्जित रहा, उसे कम-से-कम मरने के बाद यमलोक में तो बिना किसी डर के इंट्री मिलेगी। अस्पताल वालों ने कोरोना टेस्ट के नाम पर होरी के खास-खास अंग निकाल लिये। सदा पॉजिटिव रहने वाले होरी को ऊपर जाने से पहले टेस्ट के ग्यारह सौ लेकर निगेटिव किया गया। होरी को मारने के बाद डॉक्टर ने प्रसन्न होकर होरी के मरने के बाद के टेस्ट की रिपोर्ट गोबर को सौंपते कहा, “लो गोबर! अब होरी फुली निगेटिव हो गया। अब इसे यमलोक में यमलोक की कोई ताकत नहीं रोक सकती। अब निडर होकर जहाँ मन करे वहाँ घूमे। अभी जो होरी कागजों में पॉजिटिव हो मरता तो ... तुम तो जानते ही हो कि आजकल पॉजिटिव माँ-बापों को श्रवण कुमार तक हाथ लगाने से डर रहे हैं। जाओ, अब मजे से इसका अंतिम परिष्कार करो, पर हाँ! गलती से भी इसकी बॉडी खोलना मत। भीतर से अभी भी ये पॉजिटिव ही है।” डॉक्टर साहब ने गोबर को और भी कई गैर-जरूरी हिदायतें बहुत जरूरी बताकर होरी सादर सौंप दिया। ...और होरी यमलोक को हाथ में पहली बार ग्यारह सौ में खरीदी अपने निगेटिव होने के टेस्ट की कॉपी ले हवा हो लिया, पंडित मातादीन को अँगूठा दिखाते बोला, “रे पंडित! आँखें हो तो देख, तेरे बिना भी अपना काम हो लिया।” होरी को यमलोक को हवा से बातें करते जाते देख यह सब फटी आँखें से देखते पंडितजी का गुस्सा आठवें आसमान पर। होरी में इतनी हिम्मत कहाँ से आ गई? उसके बिना ही यमलोक को रवाना हो गया? अब प्रलय आने में ज्यादा देर नहीं यजमानो! कंबख्त कहीं कोरोना मिले तो उसके श्राद्ध पर इतना खाएँ कि उसके परिवार वाले भी याद रखें कि उन्होंने मातादीन से किसी का कभी श्राद्ध करवाया था। जाने-पहचाने रूट से होरी यमलोक में पहुँचा तो बैरियर पर हेड कांस्टेबल मातादीन के सब इंस्पेक्टर बेटे लाटादीन ने उसकी निगेटिव होने की रिपोर्ट चेक करते कहा, “और होरी! रिपोर्ट भी लाए हो या...” “हाँ साहब! रिपोर्ट साथ में है। होरी की आत्मा ने अपनी जेब में सँभालकर रखी अपने टेस्ट की रिपोर्ट निकाली और सब इंस्पेक्टर लाटादीन की आँख पर दे मारी। उसने गौर से रिपोर्ट को देखा तो बोला, “नकली बनाकर तो नहीं ले आए? आजकल ऐसा धंधा नीचे जोरों पर है।” “असली है बाबा असली! होरी ने आज तक नंबर दो का काम किया ही नहीं। अगर वह दो नंबर का काम करता तो एक जन्म में दस-दस बार न मरा करता।” होरी की आत्मा ने पहली बार सीना तानकर झूठ कहा और अपने टेस्ट की रिपोर्ट पर ओके का ठप्पा लगवा आगे हो ली। अगले बूथ पर यमलोक के डॉक्टर ने ज्यों ही होरी की आत्मा के शरीर का फुल्ल चेक करने लगे तो उन्हें यह देखकर हैरानी हुई कि उसके शरीर में से कुछ कीमती अंग गायब थे। उन्होंने पूरी ईमानदारी से बार-बार होरी की आत्मा के शरीर को चेक किया, पर उसके शरीर से दिल, किडनियाँ, आँखें, लिवर सब गायब देख वे हैरान थे। आखिर अगली काररवाई के लिए यमलोक के अस्पाताल के डॉक्टर ने उसे उसकी रिपोर्ट देते कहा, “डियर! साँस तो नहीं फूल रही तुम्हारी?” “नहीं तो साहब! हमें नहीं पता, साँस कैसे फूलती है।” होरी की आत्मा ने हँसते हुए कहा। “खाना-पीना सही पच रहा है क्या?” “भरपेट खाना आज तक मिला ही कहाँ साहब! आधा-सवा जितना मिला, वह मजे से पचा ही।” “ओके”, होरी की आत्मा ने डॉक्टर से रिपोर्ट ली और अगले बूथ पर चली गई। ज्यों ही यमलोक में यह बात आग की तरह फैली कि कोई आत्मा पहली बार बिना दिल, आँखें, किडनियाँ और लिवर के भी यहाँ सही सलामत पहुँची है तो सारे यमलोक का मीडिया होरी को देखने को बेताब हो उठा और सारे काम छोड़ होरी का मीडिया-ट्रायल शुरू हो गया। चित्रगुप्त के थ्रू जब इस बात का पता यमराज को चला तो यमराज ने जिस अस्पताल के माध्यम से आया था, अविलंब वहाँ के डॉक्टर को विनम्र निवेदन करते नोटिस भेजा, “आदरणीय भगवान् रूपा डॉक्टर साहब! नमस्कार! आपने जिस होरी को समय से पहले हमारी सेवा में भेजा है, उसके लिए आपका बहुत-बहुत आभार! आपकी कर्मठता, सदाशयता को हमारे लोक का सलाम! अब आपसे एक और निवेदन है कि आपने जिस होरी को हमारे पास भेजा है, उसका दिल, किडनियाँ, आँखें, लिवर सब गायब हैं। उसने इन्हें आपको तो नहीं बेचा है कहीं? गरीब आदमी ईमानदारी के सिवाय अपना कुछ भी बेच सकता है। हो सकता है, गलती से नोटिस में दरशाए इसके अंग आपके अस्पताल में रह गए हों। गलती किससे नहीं होती? हमने तो उसको जब अपने लोक से धरती पर भेजा था तो उसको चालाकी के सिवाय सब दिया था। अतः आपसे करबद्ध निवेदन है कि उसके आपके अस्पताल में रह गए अंग तत्काल हमारे लोक केवल और केवल कूरियर से भिजवाने की व्यवस्था करें, ताकि होरी पर आगे की काररवाई जल्द से जल्द शुरू की जा सके। आपसे आगे भी अनुरोध रहेगा कि आप जब किसी को अपने अस्पताल से हमारे यहाँ को डिस्चार्ज करें तो कृपया उसके पूरे अंगों की लिस्ट बनाकर उसके साथ सील बंद लिफाफे में भेजा करें। अनुग्रह से पूर्व आभार सहित, आपका शुभचिंतक यमराज।”
अशोक गौतम गौतम निवास, अप्पर सेरी रोड नजदीक मेन वाटर टैंक, दूरभाष : 9418070089 |
मार्च 2023
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