RNI NO - 62112/95
ISSN - 2455-1171
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संकटों के बीचमूलः चार्ल्स बर्नस्टीन अनुवादः बालकृष्ण काबरा ‘एतेश’ अमेरिकी कवि, निबंधकार एवं संपादक। पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में प्रोफेसर। वर्ष २००६ में अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स ऐंड साइंसेज के फेलो चुने गए। वर्ष २०१९ में ‘नीयर/मिस’ के प्रकाशन पर येल विश्विद्यालय द्वारा ‘बोलिंगन पुरस्कार’। २०१० में ‘ऑल द व्हिस्की इन हैवन’ एवं २०१२ में ‘साल्ट कम्पेनियन तो चार्ल्स बर्नस्टीन’ का प्रकाशन। यहाँ इनकी दो अमेरिकन कविताओं का हिंदी रूपांतर प्रस्तुत कर रहे हैं। सुपरिचित लेखक एवं कवि और अनुवादक। अद्यतन कविता संग्रह ‘छिपेगा कुछ नहीं यहाँ’। विश्व काव्यों के अनुवादों का संग्रह ‘स्वतंत्रता जैसे शब्द’ प्रकाशित एवं दूसरा संग्रह ‘जब उतरेगी साँझ शांतिमय’ प्रकाशनाधीन।
यह कविता... (धन्यवाद कहने के लिए धन्यवाद से) यह पूर्णत: सरल कविता है। इस कविता में ऐसा कुछ नहीं कि किसी भी तरह यह समझ में न आए। सभी शब्द सरल और प्रासंगिक हैं। कोई नई अवधारणा नहीं, न ही कोई सिद्धांत न ही भ्रमित करने वाला कोई विचार। इस कविता में कोई बौद्धिक दावा नहीं। यह पूर्णत: भावप्रधान है। यह पूरी तरह लेखक की भावनाओं को, मेरी भावनाओं को अभिव्यक्त करती है, मैं वह व्यक्ति जो तुमसे अभी बात कर रहा है। यह सब संप्रेषण के बारे में है हृदय से हृदय तक यह कविता पाठक के रूप में आपको मान देती है और आपकी सराहना करती है यह कठिनाइयों और संकटों के बीच मानव कल्पना की विजय का उत्सव मनाती है। इस कविता में ९० पंक्तियाँ ३१४ शब्द और जितना समय मेरे पास गिनने को उससे अधिक शब्दांश हैं। हर पंक्ति, शब्द और शब्दांश को चुना गया है केवल चाहे गए अर्थ को व्यक्त करने और इसके अलावा कुछ नहीं। यह कविता करती है परिहार गूढ़ता और दुर्बोधता का। सैकड़ों पाठक पढ़ेंगे इस कविता को, हर पाठक एक समान रूप से और इससे उन्हें एक समान संदेश ही मिलेगा। यह कविता, सभी अच्छी कविताओं की तरह कहती है एक कहानी सीधी शैली में और पाठक को नहीं लगाना पड़ता है कभी भी कोई अनुमान। जबकि कभी-कभी अभिव्यक्त करते हुए कटुता, क्रोध आक्रोश, विदेशी द्वेष और नस्लवाद के अर्थ, इसका मुख्य भाव सकारात्मक होता है। यह जीवन के उन द्वेषपूर्ण क्षणों में भी आनंद उठाती है जो यह आपके साथ साझा करती है। काव्य के प्रति यह कविता उम्मीद दरशाती है यह दर्शकों को अपनी पीठ नहीं दिखाती यह नहीं सोचती कि यह पाठक से बेहतर है, यह काव्य के लिए प्रतिबद्ध है लोकप्रिय रूप में, पतंग उड़ाने और मछली पकड़ने की तरह। यह कविता किसी सिद्धांत या धर्म-सिद्धांत की नहीं है। यह किसी रीति का अनुसरण नहीं करती। यह कहती है वही जो इसे कहना है। यह वास्तविक है। के बिना... (हाई टाइड एट रेस पॉइंट से) संवाद के बिना व्यवहार रेत के बिना समुद्र तट प्रेम के बिना प्रेमी आकार के बिना सतह हाथ के बिना स्पर्श कारण के बिना विरोध तल के बिना कुआँ घाव के बिना डंक मुँह के बिना चीख लड़ाई के बिना मुट्ठी घंटे के बिना दिन बेंचों के बिना पार्क शब्दों के बिना कविता आवाज के बिना गायक मेमोरी के बिना कंप्यूटर समुद्र-तट के बिना तंबू सड़क के बिना हिचकोले हानि के बिना पछतावा
उद्देश्य के बिना लक्ष्य कथानक के बिना कहानी नाव के बिना पाल पंखों के बिना विमान स्याही के बिना पेन शिकार के बिना हिंसा पापी के बिना पाप शर्तों के बिना समझौता स्वाद के बिना मसाला हिलने के बिना अंग-संचालन दृश्य के बिना दर्शक वक्र के बिना ढलान इच्छा के बिना ललक माप के बिना मात्रा यहूदी के बिना नाजी हँसी के बिना हास्य उम्मीद के बिना वादा सांत्वनादाता के बिना सांत्वना निश्चित होने के बिना निश्चितता चुराने के बिना चोरी था के बिना हुआ होगा ईश्वराज्ञा के बिना मूसा-संहिता एक के बिना दो रेशम के बिना रेशमी आवश्यकता के बिना अनिवार्य तर्क के बिना निष्कर्ष परिवर्तन के बिना गति गहराई के बिना घाटी गंध के बिना धुआँ लक्ष्य के बिना दृढ़निश्चय लसीलेपन के बिना जेल बीमारी के बिना इलाज लक्षण के बिना बीमार आकृति के बिना खनिज विस्तार के बिना लकीर इरादे के बिना दृढ़ता रिक्तता के बिना रिक्त विभाजन के बिना सीमा डोरियों के बिना कठपुतली नियम के बिना अनुपालन आशा के बिना निराशा रंगत के बिना रंग विषय के बिना विचार और अंत के बिना दुख।
11, सूर्या अपार्टमेंट, रिंग रोड, |
अप्रैल 2024
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