RNI NO - 62112/95
ISSN - 2455-1171
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नानी बड़ी सयानीसुपरिचित कवि। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। हिंदी अकादमी, दिल्ली से पुरस्कृत एवं साहित्य मंडल, नाथद्वारा से सम्मानित। शिल्पा चड्ढा एवं राजेंद्र बिष्ट स्मृति सम्मान भी। पानी बर्फ तो पानी है भाप उसकी नानी है, भाप है नानी तो क्या है पानी? नानी बड़ी सयानी है भाप-बर्फ पानी है। बूँद बादल से टूटी हवा में छूटी गिरी टपाक छप से छपाक पानी की बूँदें मिट्टी गूँदें। परछाईं परछाईं बोली धूप से यहाँ-वहाँ चढ़ी है जहाँ जाऊँ खड़ी है मेरे पीछे पड़ी है। दीवाली चकरी चली सर्र-सर्र फूलझड़ी छूटी झर्र-झर्र, बम फूटे भड़ाम-भड़ाम बरतन गिरे धड़ाम-धड़ाम। नटखट-खटपट एक था नटखट एक था खटपट, दोनों में हुई लटपट छीना-छानी झपट-झपट, आई पुलिस लिखी रपट दोनों भाग गए सरपट। ओस दूब पर थी ओस धरी चमकी कोने पर नहीं झरी, उठा ले गई किरण-परी। तोता हरी डाल पे हरा तोता आँखें मींचे खूब सोता, भूख लगे मिर्च भी खाए जीभ जले टें-टें चिल्लाए। गधा कहने को कव्वाल है बेसुरा बेताल है, अपने सुर पर फिदा है गधा तो गधा है। डाली एक डाली, दो डाली न जाने कितनी डाली, काट-काटकर डाली धरती खाली कर डाली। चली हवा हवा चली सर-सर-सर लत्ते उडे़ फर-फर-फर बुढि़या सोए खर-खर-खर। ताना-बाना शेर का रेंकना गाय का भौंकना हाथी का दहाड़ना कुत्ते का चिंघाड़ना बकरी का हिनहिनाना गधे का मिमियाना घोडे़ का रँभाना ठीक भी कर दो नाना ये उल्टा ताना-बाना। पप्पू बर्गर खाया खाया पीजा मोमोज खाकर पप्पू रीझा, खाकर हो गया गोल-मटोल पेट फूलकर हो गया ढोल। टोका-टाकी पतंग मत उड़ा धूप में मत जा, मत भाग इधर-उधर एग्जाम है सिर पर, किताब खोल लिया कर कभी पढ़ लिया कर, नंबरों की होड़ है परीक्षा तेरी बोर्ड है। स्कूल लिखी नहीं थी सुलेख बाहर रहा था देख, पड़ी पीठ पर छड़ी तितली फूल से उड़ी, तिलमिलाया बच्चा स्कूल नहीं है सच्चा। बापू एक बूढ़ा जवान छाती अपनी तान, दे रहा था जंतर आजादी का मंतर— ‘करो या मरो’ न किसी से डरो। बचपन कैसे लें बचपन की मौज, मुँह चिढ़ाए बस्ते का बोझ। ए-१०७, शकूरपुर, आनंदवास, दिल्ली-११००३४ दूरभाष : ८९२०५३७४३४ —शिवचरण सरोहा |
अप्रैल 2024
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