RNI NO - 62112/95
ISSN - 2455-1171
E-mail: sahityaamritindia@gmail.com
सच्ची श्रद्धांजलिश्रीवाजपेयी अब नहीं रहे। संपूर्ण देश ने उन्हें अश्रुपूरित नेत्रों से अंतिम बिदाई दी। आजादी के बाद शायद ही किसी भारतीय जननायक के महाप्रयाण में प्रधानमंत्री, पूरा मंत्रिमंडल, पार्टी और अपार जन-समूह ने उमस भरी दोपहरी में पाँच किलोमीटर अंतिम स्थल तक पैदल चलकर पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि दी हो। अपनी बात, व्यवहार और दर्शन से देश के हर वर्ग का दिल जीत लिया था। वे भारतवर्ष को ऐसी ऊँचाइयों पर ले गए, जहाँ से और ऊँचे ले जाना अब वर्तमान और भावी पीढ़ी का कर्तव्य है। यह हमारा, आपका और सबका फर्ज है, पवित्र उत्तरदायित्व है। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। प्रस्तुत है एक काव्यांजलि— अब नहीं अटल-नेहरू-कलाम शिक्षित-दीक्षित संयत ललाम, उन्नत विराट् दिग्गज विशाल थे भारत के उत्ताल भाल। युगद्रष्टा थे, जननायक थे नवभारत के निर्माता थे, मन-वाणी से तीनों उदार शुचिता-मर्यादा से अपार। कोई गुल था कोई शतदल कोई कुंतल भारत हर पल, लेखन-दर्शन-विज्ञान काव्य ऐसी त्रिमूर्ति था एक जवाहर, एक अटल, तीसरा भारती का कलाम पर कोई भी उन्मत्त नहीं, संकीर्ण नहीं तीनों उदात्त सज्जनता के थे भव्य मूर्ति। सोने की चिडि़या का सपना देखा था तीनों ने मिलकर, हो पुनः पयस्विनी गंगा-यमुना विज्ञान-ज्ञान अध्यात्म मना, समरसता हो, सद्भाव रहे पूरा समाज हो एक सूत्र संकल्प लक्ष्य पर ध्यान रहे भारत अब कभी न निर्बल हो। आओ हम उनके स्वप्नों के भारत का नव-निर्माण करें, एक सबल-स्वस्थ-संपन्न देश सच्ची श्रद्धांजलि समावेश। वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ |
मार्च 2024
हमारे संकलनFeatured |