अमन के रक्षक

हर राज्य की ओर से जनता के बीच अमन रखने की कोशिश की जाती है और अमन के रक्षक के रूप में पुलिस का अच्छे-से अच्छा बंदोबस्त किया जाता है।

अंग्रेजी राज्य बहुत बड़ा है; तो इंग्लैंड की पुलिस भी संसार की सभी पुलिसों से अधिक भलेमानस और फरमाबरदार समझी जाती है। जो यात्री लंदन पहुँचता है, वहाँ की पुलिस की सज्जनता और तत्परता देखकर दंग रह जाता है।

वहाँ पुलिस का जो प्रबंध है, उसका विधाता रौबार्ट पील नामक एक सज्जन समझे जाते हैं। जिस समय सर रौबर्ट ने ८२९ में पुलिस के संगठन की योजना पेश की, जिसका समूचे देश में विरोध हुआ। एक अखबार ने लिखा—इससे जनता की स्वतंत्रता में बाधा पड़ेगी। एक ने कहा—यह अपने किसी पिट्ठू को गद्दी पर बिठाना चाहता है! किंतु आज सभी सर रौबर्ट की दूरदर्शिता की तारीफ करते हैं।

अंग्रेजी पुलिस का काम केवल बदमाशों को पकड़ना या सवारियों पर नियंत्रण रखना ही नहीं है। लंदन की पुलिस ने एक वर्ष में क्या किया, इसी से पता चल जाएगा कि वहाँ की पुलिस क्या-क्या करती है और कितने बड़े परिमाण में—

२६९६५ व्यक्तियों के खो जाने की रिपोर्ट पुलिस में की गई, जिनमें १०३७८ व्यक्तियों को खोजकर उनके संबंधियों से मिलाया गया। ७०८ व्यक्तियों को आत्महत्या करने से बचाया गया। २९१४ जगहों में आग लगने पर पुलिस पहुँची और मदद की, जिनमें १८१ जगहों की आग तो उसने अकेले ही बुझाई। २७२५० घरों को खुला हुआ देखा और उन्हें बंद करवाया। २०५ बिगडै़ल घोड़ों को सड़क पर बेतहाशा भागते हुए पकड़कर काबू किया और ३४८ बदहोश फौजियों को गिरफ्तार कर छावनी में दाखिल किया। ४१११४ भटकते हुए कुत्तों को पकड़ा जिनमें से ८००३ को उनके मालिकों के पास पहुँचाया। ५८३९ फेरीवालों को सर्टिफिकेट दिया गया और १३५ की सनदें जब्त की गईं। इन सब कामों के अलावा १०९७८७ अपराधियों को गिरफ्तार किया।

स्त्रियों और बच्चों की देखरेख के लिए वहाँ स्त्री-पुलिस भी है।

इसके अतिरिक्त ‘स्कॉटलैंड यार्ड’ के नाम से वहाँ खुफिया पुलिस का भी बहुत जबरदस्त संगठन है। वहाँ की खुफिया पुलिस केवल राजनीतिक बातों का ही पता नहीं लगाती, वरन् चोरी, डकैती, खून, दगाबाजी, गिरहकट आदि का ऐसी चतुराई से पता लगाती है कि वाह-री-वाह! खुफिया पुलिस।

फ्रांस की पुलिस का संगठन इंग्लैंड से बिलकुल जुदा है। वहाँ की पुलिस सैनिक ढंग की है। उसके दो भाग हैं। एक का काम है अपराधियों का पता लगाना, उसके खिलाफ गवाह जुटाना और फिर उन्हें अदालत को सौंपना। दूसरा भाग, सड़कों एवं दूसरी जगहों पर शांति रखना है। भोजन की निगरानी, बाजार-भाव को ठीक रखना और वक्त जरूरत पर जनता की सेवा के लिए मुस्तैद रहना—ये भी उसके काम हैं।

इसके अलावा वहाँ सशस्त्र पुलिस भी है—जिसमें कुछ पैदल और कुछ घुड़सवार हैं। सशस्त्र पुलिस की पोशाक नीली या खाकी होती है। पाजामे का रंग भी यही होता है और सिर पर एक टोपी होती है, जिसे ‘केपी’ कहते है। उसे एक-एक पिस्तौल भी दी जाती है। साधारण पुलिस की पोशाक इसी तरह की है, किंतु कुछ गहरे रंग की होती है। फ्रांस की खुफिया पुलिस अजहद चालाक समझी जाती है। भेष बदलने में उसका सानी मिलना मुश्किल है। केवल पोशाक, आवाज और चलने के ढंग में हेर-फेरकर वह बड़े-बड़े काँइयों की आँखों में भी धूल झोंकती है।

स्पेन की पुलिस यूरोप की सबसे अच्छी पुलिस समझी जाती है; गर्चे स्पेन, यूरोप के पिछड़े हुए देशों में गिना जाता है। पुलिस का संगठन फ्रांस के ही समान है। स्पेन में राहजनी कल तक एक साधारण बात समझी जाती है—किंतु इस पुलिस ने उसका खात्मा ही कर डाला है। संसार के सभी देशों की अपेक्षा, वहाँ की पुलिस को अधिक अख्तियार दिए गए हैं। किंतु इन अख्तियारों को वे कभी बेजा इस्तेमाल नहीं करते। इनकी संख्या ३०००० है और ये दो की तादाद में—जोड़ा बनाकर—समूचे देश में घूमा करते हैं। नगरों के लिए वहाँ अलग पुलिस है।

इटली की पुलिस के पाँच दर्जे हैं, जिनमें मुख्य है काराबिनियारी नामक दर्जा। इसके जवान गाढ़े-नीले रंग की चुस्त पोशाक पहनते हैं। हाँ, पजामे के निचले हिस्से में लाल धारी होती है। इस दर्जे में ३०००० जवान हैं, जो शहर और देहात दोनों में बिखरे हुए हैं। इन्हें जरूरत होने पर फौज में भी भेजा जा सकता है।

जर्मनी की नागरिक-पुलिस सैनिक है। इसकी पोशाक गाढे़ नीले रंग की होती है। सिर पर चमड़े का शिरस्त्राण, जिसमें चमकते बटन लगे होते हैं। लंदन की पुलिस के बाद जर्मनी की पुलिस ही सबसे सुगठित और कार्यशील समझी जाती है।

अमेरिका की पुलिस-प्रणाली कुछ अजीब ढंग की है। अमेरिका का संयुक्त राज्य, कितने ही छोटे-छोटे राज्यों के एकत्रीकरण का नाम है। वहाँ का हर राज्य अपनी-अपनी अलग-अलग पुलिस रखता है। हर प्रमुख नगर की भी अपनी पुलिस है। वहाँ के बड़े-बड़े शहरों—जैसे न्यूयॉर्क आदि में लंदन की तरह का पुलिस-संगठन है। किंतु, जहाँ लंदन का पुलिस कमिश्नर बादशाह के द्वारा भरती किया जाता है, वहाँ इन नगरों के पुलिस कमिश्नर को वहाँ का मेयर भरती करता है और वह भी केवल दो वर्षों के लिए। पुलिस के वहाँ कई दर्जे भी हैं। पहले गश्त देने का काम करना होता है, तब पहरा देने का, फिर सार्जेण्ट का और उसके बाद कप्तान का। कप्तान के बाद इन्सपेक्टर और सबसे ऊपर पुलिस का चीफ। तरक्की करते-करते कोई भी गश्ती-पुलिस का जवान एक दिन चीफ हो सकता है। न्यूयॉर्क की पुलिस का वेतन भी लंदन की पुलिस से अधिक है।

इनके अलावा इनके हथियारों में भी फर्क है। लंदन की पुलिस एक छोटा-सा Truncheon और एक सीटी लिए अपनी ड्यूटी बजाती है, किंतु न्यूयॉर्क की पुलिस को एक राज की एक गदा और एक रिवाल्वर आत्मरक्षा के लिए मिलती है। जरूरत पड़ने पर गदा और रिवाल्वर के इस्तेमाल का पूरा अधिकार न्यूयॉर्क की पुलिस को है—इसलिए वहाँ के उचक्के और बदमाश उनसे खूब भय खाते हैं। यद्यपि वहाँ की पुलिस इन हथियारों का बहुत ही कम प्रयोग करती है। वहाँ पुलिस के ऐसे बूढे़ लोग हैं जिन्होंने जिंदगी में कभी भी इन हथियारों का एक बार भी इस्तेमाल नहीं किया।

स्त्री-पुलिस भी वहाँ १९१३ से कायम की गई है—जिसकी खास पोशाक है और जिसे पुरुष-पुलिस के समान ही वेतन मिलता है।

किंतु संसार की सबसे अच्छी पुलिस तो समझी जाती है कनाडा की घुड़सवार-पुलिस। चार भागों में विभक्त होकर यह देश के चार बराबर हिस्सों में अमन-चैन की रक्षा अपनी मुठ्ठी में लिए हुए है। पहले इसकी पोशाक बैंजनी थी। सिर पर उजला टोप—कमर में चमकीले कारतूस की पेटी से लटकती रिवाल्वर! किंतु अब उनकी पोशाक लाल है। सुनहरी धारी का चुस्त पाजामा और खाकी टोप।

वहाँ की पुलिस को सबसे पहले गोली चलाकर कैदी को ‘जिंदा या मरा’ लाने का अधिकार नहीं है। यदि किसी कैदी को वह मार डाले, तो उसे तीन महीने की सजा होती है और यदि कैदी भाग जाए तो भी उतने ही दिनों की। इसलिए वहाँ की पुलिस कभी-कभी बड़ी विचित्र करामात कर दिखाती है। एक बार जब एक रेलवे लाइन बन रही थी, वहाँ के कुछ आदि-निवासी लाइन पर आकर डेरा डालकर बैठ गए और हटने से इनकार कर दिया। इतने ही में पुलिस को खबर दी गई। दो पुलिस के जवान आए। आकर उन्होंने उनसे हटने को कहा। किंतु कौन सुने? बस, दोनों जवान आगे बढ़े और अपने बूट की ठोकर से एक खीमे के खूँटे को उखाड़कर उसे गिरा दिया। आदि-निवासी हतप्राय हो उनका मुँह देख रहे थे। किंतु ये दोनों निडरता का अवतार बने, एक-के बाद दूसरा खीमा गिराते रहे। आदि-निवासी जानते थे कि इन पर हाथ उठाने का क्या अर्थ है? अतः वे चुपचाप देखते रहे और आखिर में वहाँ से खिसक गए।

भारतीय पुलिस की पोशाक में भी अलग-अलग प्रांतों में भेद है। बिहार में जहाँ ‘लाल मुरेठा’ का अर्थ है पुलिस—वहाँ बंबई में पुलिस के लिए ‘पीली फाड़ी’ का प्रयोग किया जाता है। सरहद की पुलिस को राइफल और संगीन से लैस किया गया है।

दक्षिणी अफ्रीका में वहाँ के तीन हजार हब्शी पुलिस में लिए गए हैं। इन लोगों ने भी अपने को योग्य साबित किया है।

जापान की पुलिस यूरोपियन ढंग से संचालित है। किंतु चीन की पुलिस ढीलीढाली समझी जाती है जो कि घूस भी लेती है। बगदाद की ही तरह मोरक्को की न्यायपद्धति वहाँ के काजी द्वारा संचालित होती है, किंतु वहाँ की पुलिस बड़ी सजग और साहसी समझी जाती है।

यूरोप में सबसे कम पुलिसवाले देश हैं—बेलजियम, नॉर्वे और स्वीडन। किंतु संसार में सबसे कम आइसलैंड में है, वहाँ के लोग इतने शांत और कानून माननेवाले हैं कि वहाँ पुलिस है ही नहीं। यह समझकर कि आखिर राजधानी में पुलिस तो रहनी ही चाहिए; दो लंबे-तगड़े जवान पुलिस के नाम पर रखे गए हैं, जो भड़कीली पोशाक पहने जब-तब इधर-उधर निकल जाते हैं।

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