भय

धीमी और भयावनी ठंडक जो मृत्यु का आगमन प्रतीत होती है—भय की वास्तविक ठंडक, मैंने एक ही बार महसूस की है। यह स्थिर भू-संपत्तियों के समय से कई वर्ष पहले की बात है जब फौजी सेवा द्वारा श्रेणी एवं पदवी पाई जाती थी।

मुझे अभी-अभी हथगोलामारों में अश्वारोही का कोर्डन दिया गया था। शाही संतरी का पद मेरी प्राथमिकता थी परंतु इसपर मेरी माँ को आपत्ति थी। अतः पारिवारिक परंपरा के अनुसार—मैं राजा के रेजिमेंट में गोलामार बन गया। मुझे याद नहीं कि यह कितने वर्ष पुरानी बात है परंतु मेरे होंठों पर रोएँ उग आए थे और आज मैं लगभग सफेद बालोंवाला आदमी हूँ।

रेजिमेंट में शामिल होने से पहले मेरी माँ मुझे अपना आशीर्वाद देना चाहती थी। वह भद्र महिला गाँव की सीमा पर एकांत में रह रही थी जहाँ हमारा पैतृक मकान था और उन दिनों मैं आज्ञाकारी और विनम्र था।

मेरे वहाँ पहुँचने पर दोपहर को उसने ब्रांडेसो प्राइयोर को बुलाया, ताकि परिवार के चर्च में वह मेरी स्वीकृति सुन सके। मेरी बहनें; मोरिया, इसाबिनें और मोरिया फरनेंडा, जो छोटी लड़कियाँ थीं, बाग में गुलाब चुनने गईं और इन फूलों से मेरी माँ ने वेदी के गुलदानों को भर दिया। फिर उसने अपनी प्रार्थना पुस्तिका को उसे देने के लिए कोमलता से कहा और मुझे अपने अंतःकरण के परीक्षण के लिए उपदेश दिया।

‘‘आसन पर जाओ, मेरे बेटे,’’ उसने कहा, ‘‘तुम्हारे लिए वह उत्तम स्थान है।’’

किले का आसन चबूतरे के केंद्र में था जिसके साथ ही पुस्तकालय था; चर्च अँधेरे, नमी और प्रतिध्वनियों से भरा हुआ था। अप्रधान स्थान में इसबिग और फरनेंडा द्वारा ब्रांडागिन के लॉर्ड, वेडो उग्यार डे टोर जो एल. चियो (दि एम) के नाम से भी जाना जाता था और एल. बीजो (वृद्ध आदमी) को दी गई कवच संबंधी छवियाँ थीं। वह प्रसिद्ध शूरवीर वेदी की दाईं ओर दफनाया गया था; उसके ऊपर कवच पहने एक श्रेष्ठ पुरुष का बुत प्रार्थना की मुद्रा में झुका हुआ था। रत्न-जडि़त पवित्र लैंप अपनी मंद रोशनी के साथ प्लेटफार्म के सामने दिन-रात जलता रहता था। मुलम्मा चढ़े पवित्र फलों के गुच्छे अपने आपको भक्तों को पेश करते प्रतीत होते थे। संरक्षक सेंट धार्मिक पूरब का राजा था जो उन तीन बुद्धिमानों में से एक था जिन्होंने शिशु ईसा को लोबान दिया था। सोने से मढ़े किनारोंवाली उसकी पोशाक पूरब के चमत्कार के गहन तेज से जगमगा रही थी। चाँदी की जंजीर से लटकी लैंप की रोशनी भीरु पक्षी की तरह सेंट के कंधों पर जाने के लिए फड़फड़ा रही थी।

मेरी माँ की इच्छा थी कि उस दोपहर को वह अपने हाथों से फूलों की पिटारी एक भक्त की भेंट के रूप में सेंट के चरणों में रखे। जब यह हो गया तो वह मेरी बहनों के साथ वेदी के सामने झुकी। ऊपर से मैंने उसकी केवल मरमर की आवजा सुनी। उन्होंने ईव मेरियाज को टूटे शब्दों में दोहराया, परंतु जब उत्तर देने की बच्चों की बारी आई तो मैंने रस्म का एक शब्द सुना।

दोपहर शोकावस्था में गुजरती रही और प्रार्थनाएँ चर्च के मौन अँधेरे, खोखलेपन में शोकाकुल और प्रभावशाली ढंग से, उत्तेजना की प्रतिध्वनि की तरह खड़खड़ाती रहीं। मेरी आँखें भारी हो गईं। उनकी पोशाकें पादरी के लबादे की तरह सफेद थीं। मैं अपनी माँ का धुँधला साया देख सकता था जब वह प्रधान पादरी के स्थान पर प्रार्थना कर रही थी। उसके हाथों में एक खुली पुस्तक थी जिसको वह सिर झुकाकर पढ़ रही थी।

कुछ देर बाद, हवा ने ऊँची खिड़की के परदे को हिलाया तो मैंने अँधेरे आकाश में चाँद के गोलाकार को देखा जो जंगल और दलदल में पूजा करती हुई किसी देवी की तरह अलौकिक और पीला था।

मेरी माँ ने ठंडी साँस लेकर पुस्तक बंद कर दी और अपनी बेटियों को पुकारा। मैंने उन्हें प्रधान पादरी के स्थान से दो भूतों की तरह गुजरते देखा और अनुमान लगाया कि वे एक बार उसकी बगल में झुकेंगी। लैंप की रोशनी की दुर्बल किरणें उनके सुंदर हाथों पर पड़ रही थीं जब उन्होंने पुस्तक को खोल। पुस्तक पढ़ते समय उसकी धीमी और पवित्र आवाज मौन को भंग करने से डरती थी। लड़कियाँ सुन रही थीं और मैं धुँधलेपन में उनकी लटों को उनकी सफेद कमीजों पर और उसी ढंग से उनके चेहरों के दोनों तरफ फैले हुए देख रहा था जो उनपर दुःखदायी और ईसा जैसा भाव भेंट कर रही थीं।

मैं सो गया था लेकिन मेरी बहनों की चीखों ने एकाएक मुझे जगा दिया। मैंने देखा कि वे प्रधान पादरी के स्थान के मध्य में मेरी माँ से लिपट रही थीं। वे भय से चीख रही थीं। मेरी माँ ने उनके हाथ पकड़े और वहाँ से भाग गईं।

मैं जल्दी से नीचे आया। मैं उनका पीछा करना चाहता था, परंतु भय के कारण रुक गया। प्राचीन शूरवीर के बुत की हड्डियाँ खड़ाखड़ा रही थीं, जिसने हैरान कर दिया। चर्च मृत्यु की तरह मौन हो गया था और कोई भी खोखलेपन को, पत्थर के तकिए पर खोपड़ी के भयावने घुमाव को स्पष्टतया सुन सकता था। मुझपर ऐसा भय छा गया जिसका पहले कभी अनुभव नहीं हुआ था, परंतु मैं नहीं चाहता था कि मेरी माँ और बहनें मुझे कायर समझें, इसलिए मैं प्रधान पादरी के स्थान के मध्य, आधे खुले दरवाजे पर नजर जमाए, निश्चल खड़ा रहा। छोटे लैंप की रोशनी लहक रही थी। ऊँची खिड़की का परदा पीछे की ओर उड़ा तो देखा कि चाँद के ऊपर से बादल गुजर रहे थे जो हमारे मर्त्य जीवन की तरह नजर आते थे और रह-रहकर छिप जाते थे।

एकाएक दूर से उत्तेजित कुत्तों का भौंकना और छोटे घुंघरुओं की झनक सुनाई दी। गिरजे से एक गंभीर उभरी आवाज उभरी—

‘‘यहाँ काराबेल! यहाँ केपीटान!’’

यह ब्रांडेसों का प्राइयोर था जो मेरी स्वीकृति प्राप्त करने आया था। फिर मैंने अपनी माँ की भयावह और कंपायमान आवाज सुनी तथा दूर भागते कुत्तों के पैरों की पटपटाहट को स्पष्टतया सुना। गिरजे की गंभीर आवाज गौरव के साथ जार्जियन गाने की तरह ऊँची हुई—

‘‘अब हम देखेंगे कि यह क्या था—वस्तुतः कुछ भी अलौकिक नहीं। यहाँ काराबेल! यहाँ केपीटान!’’

और ब्रांडेसो का प्राइयोर अपने भूरे कुत्ते के पीछे, चर्च के दरवाजे पर नजर आया।

‘‘राजा के हथगोलामार, क्या हुआ?’’

‘‘श्रीमान् प्राइयोर, मैंने मकबरे में पिंजर को काँपते सुना।’’

प्राइयोर धीरे से चर्च के पार हो गया। वह लंबा-चौड़ा गर्वीली आकृतिवाला था क्योंकि अपनी युवावस्था में वह भी राजा का हथगोलामार रहा था। वह अपने सफेद कपड़ों की ढीली तहों को उठाए बिना मेरे पास आया और अपना हाथ मेरे कंधे पर रखकर तथा मेरी आँखों में झाँकते हुए पवित्रता से बोला—

‘‘परमात्मा करे कि ब्रांडेसो का प्राइयोर यह कहने में कभी योग्य न हो कि उसने राजा के हथगोलामार को काँपते देखा।’’

उसने मेरे कंधों से हाथ नहीं हटाया और हम एक-दूसरे को चुपचाप देखते, स्थिर खड़े रहे। उसी क्षण हमने एक शूरवीर की खोपड़ी को मुड़ते सुना। प्राइयोर का हाथ नहीं काँपा। हमारे निकट कुत्तों के कान खड़े हो गए और उनकी गरदनों के बाल तन गए। हमने नए सिरे से खोपड़ी को पत्थर के तकिए पर घूमते सुना। प्राइयोर ने मुझे हिलाया और कहा, ‘‘श्रीमान् हथगोलामार, हम देखना चाहते हैं कि यह पिशाच है या डायन।’’

वह बुत के पास पहुँचा और पत्थर की चौरस पटिया में लगी तांबे की दो चूडि़यों को पकड़ा—पटिया, जिससे शरीर ढका हुआ था और जिसपर स्मृति लेख लिखा हुआ था। मैं काँपते हुए आगे बढ़ा। प्राइयोर ने बिना अपने होंठ खोले मेरी ओर देखा। मैंने एक चूड़ी में उसके हाथ के साथ अपना हाथ रखा और खींचा। हमने पत्थर को धीरे से उठाया। काला और घिसा छेद हमारे सामने था। मैं देख रहा था कि शुष्क और पीली खोपड़ी अब भी हिल रही थी। प्राइयोर ने अपना हाथ कब्र में डाला और भयावनी वस्तु को थाम लिया और फिर बिना कुछ कहे, मुझे दे दी। मैंने काँपते हुए उसे ले लिया। मैं प्रधान पादरी के स्थान के मध्य में खड़ा था और लैंप की रोशनी मेरे हाथों पर पड़ रही थी। जैसे ही मैंने देखा, भय ने मुझे जकड़ लिया और मैंने वेग से हिलकर खोपड़ी को गिरा दिया, क्योंकि उसके अंदर साँपों के बच्चे थे जो सी-सी की आवाज करके अपने आपको खोल रहे थे जब खोपड़ी सीढि़यों पर लुढ़की। प्राइयोर ने कवचनुमा अपनी टोपी के नीचे से मुझे भयानक नजरों से देखा।

‘‘श्रीमान् राजा के हथगोलामार, तुम्हारे लिए मोक्ष नहीं है। मैं कायरों को मुक्त नहीं करता।’’

और वह अपनी पोशाक को समेटता हुआ चर्च से चला गया। ब्रांडेसोे के, प्राइयोर के शब्द देर तक मेरे कानों में गूँजते रहे। मैं अब भी उन्हें सुन सकता हूँ। संभवतः उन्हीं शब्दों के बाद मैंने मृत्यु पर हँसना सीखा है जैसे सुंदर स्त्री पर हँसा जाता है!

(‘स्पेन की श्रेष्ठ कहानियाँ’ पुस्तक से साभार)
रेमन डेल वालेक्लेन

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