चाहत के सपने

चाहत के सपने

बस्ते में खजाना है

सबको यह बताना है

बस्ते में खजाना है।

हैं ज्ञान भरी बातें

बस्ते की किताबों में,

है प्यार भरी खुशबू

इन सारे गुलाबों में।

खुशबू के खजाने को

हर ओर लुटाना है।

बस्ता है बहुत छोटा

पर ख्वाब बड़े इसमें,

अनमोल उम्मीदों के

नगीने हैं जड़े इसमें।

हर एक नगीने का

सम्मान बढ़ाना है।

बस्ते में समझदारी

व सोच का समुंदर,

इक रंग भरी जादुई

दुनिया छिपी है सुंदर।

सबके लिए हमें ये

संसार सजाना है।

हिप-हिप हुर्रे

झूमें गाएँ हिप-हिप हुर्रे,

धूम मचाएँ हिप-हिप हुर्रे।

खबर उड़ी है बस्ती-बस्ती

बच्चों में है छाई मस्ती,

चेहरों से है खुशी बरसती।

पंख लगाकर सपनों वाले,

हम उड़ जाएँ हिप-हिप हुर्रे।

अपनी मुट्ठी में हों खुशियाँ

महक उठे मुरझाई कलियाँ,

चमक उठें चौबारे गलियाँ।

सारी दुनिया पर हम अपना,

रंग जमाएँ हिप-हिप हुर्रे।

अपने सारे खेल-तमाशे

लगते जैसे दूध-बताशे,

ढम-ढम बजते ढोलक-ताशे।

लड्डू-बरफी और समोसे,

खूब उड़ाएँ हिप-हिप हुर्रे।

हुल्लड़ के झूले में झूलें

उड़कर हम तारों को छू लें,

सारी बैर-बुराई भूलें।

भाईचारा और प्रेम की

अलख जगाएँ हिप-हिप हुर्रे।

रिमझिम फुहार

रिमझिम ऐसी पड़ी फुहार

धरती पे आ गई बहार,

बाँट रहीं बूँदें धरती को

हरियाली के नव उपहार।

उमड़-घुमड़ के बरसे बादल

बूँदों के संग बहे बयार,

हँसते हैं सब हिल-डुल पौधे

पाया सबने नया निखार।

पहन लताएँ झूम रही हैं

चमकीली बूँदों का हार,

ताल किनारे राग अलापे

मेढक चाचा का परिवार।

मिट्टी की सोंधी खुशबू पा

चले केंचुए बना कतार,

गालों को फुहार सहलाती

ज्यों माँ की मीठी पुचकार।

चुन्नी के सपने

चुन्नी के सपने हैं

रंगों भरे, नन्हे सही।

मस्त मगन पंछी-सी

उड़ने की चाह,

सपनों की नदिया की

कोई न थाह।

सपने निराले

तरंगों भरे, नन्हे सही।

फूलों-सा मुखड़ा है

बत्तक-सी चाल,

गाती है कोयल-सी

करती कमाल।

चाहत के सपने

पतंगों भरे, नन्हे सही।

मन में सँजोती है

खुशियों की आस,

जैसे हो सीप को

स्वाति की प्यास।

अरमान सारे

उमंगों भरे, नन्हे सही।

नन्ही शिकायत

मोबाइल में बिजी हैं पापा

लैपटॉप में मम्मीजी,

बात करेंगे कब वे मुझसे

आकर लेंगे चुम्मी जी।

खाना लगा दिया मम्मी ने

नहीं अकेला खाऊँ मैं,

कैसा तुम्हें लगेगा पापा

गर यूँ ही सो जाऊँ मैं?

पापा मुझसे बात करो न

बातें कई बतानी हैं,

मेरे प्यारे साथी कितने

सबकी कथा सुनानी है।

किस्से कई पाठशाला के

टीचरजी की बातें हैं,

मन में उठते कई सवालों

की लंबी बारातें हैं।

आगे-पीछे घूमूँ कब तक

मम्मी, समय निकालो न,

मुझको केवल प्यार चाहिए

नजर इधर भी डालो न।

पापा-मम्मी बोलो न अब

फैलाओ अपनी बाँहें,

मेरा नन्हा दिल देखेगा

आप मुझे कितना चाहें?

फहीम अहमद
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बब्बूवाली गली, लकड़मंडी,
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