ओवरकोट

ओवरकोट

पप्पू बहुत ही प्यारा हाथी था। वह चंपक वन के सभी छोटे-बडे़ जानवरों के साथ दोस्ताना व्यवहार करता था। जंगल के सभी जानवरों की मुसीबत के समय मदद के लिए वह हमेशा तैयार रहता था।

एक दिन पप्पू हाथी झील में पानी पी रहा था। तभी उसके कानों में चंपक वन के राजा गब्बर शेर की चिंघाड़ने की आवाज सुनाई पड़ी। आवाज सुनकर पप्पू हाथी समझ गया कि गब्बर भारी मुसीबत में है। पप्पू गब्बर को बचाने के लिए उस तरफ दौड़ पड़ा, जिधर से उसकी आवाज आ रही थी।

पप्पू हाथी को भागता देखकर उसके साथ हिरन, बाध, चीता, जेबरा, ऊँट, गैंड़ा, लोमड़ी, तेंदुआ, खरगोश, भालू सभी जानवर भागने लगे।

पप्पू हाथी ने देखा, कुछ शिकारी एक गहरे गड्ढे में गिरे गब्बर शेर को अपने जाल में बाँधने की कोशिश कर रहे हैं।

शिकारियों को देखकर पप्पू हाथी उन शिकारियों को मारने के लिए दौड़ा। दूसरे सभी जानवर भी शिकारियों को मारने के लिए दौड़ पडे़। शिकारी जंगली जानवरों को अपनी तरफ आते देखकर अपने साथ लाए जाल, फावड़ा, लोहे का पिंजड़ा और बंदूक-रस्सी सबकुछ छोड़कर जीप में बैठकर जंगल से भाग निकले।

शिकारियों को भगाने के बाद पप्पू हाथी गड्ढे में गिरे अपने मित्र गब्बर शेर से बोला, ‘‘महाराज, अब घबराने की कोई जरूरत नहीं है। हम अभी आपको सही-सलामत इस गड्ढे से बाहर निकाल लेंगे।’’

इतना कहकर पप्पू हाथी शिकारियों द्वारा छोड़ी गई रस्सी को गड्ढे में गिराकर बोला, ‘‘आप इस रस्सी को दोनों हाथों से मजबूती के साथ पकड़ लीजिए, ताकि हम रस्सी को खींचकर आपको बाहर निकाल सकें।’’

गब्बर शेर ने दोनों हाथों और दाँतों से रस्सी को मजबूती से पकड़ लिया। इधर पप्पू हाथी ने अपनी सूँड़ से रस्सी सहित गब्बर शेर को गड्ढे से बाहर निकाल लिया। बाहर आकर गब्बर शेर ने पप्पू हाथी को लाख-लाख धन्यवाद दिया।

पप्पू हाथी के कहने पर सभी जानवरों ने मिलकर पास पड़ी मिट्टी से गड्ढे़ को पाट दिया। उसी वक्त गब्बर शेर ने ऐलान कर दिया कि आज से इस चंपक वन में जहाँ कहीं भी शिकारी नजर आएँ, उन्हें मार डालो, ताकि वे हम जानवरों को पकड़कर न ले जा सकें। ऐलान सुनकर सभी जानवर अपने-अपने घर की ओर चल दिए। उस दिन से जंगल में शिकारियों का आना बंद हो गया।

एक दिन पप्पू हाथी ने सभी जानवरों की सभा बुलाकर कहा, ‘‘कल हमारा जन्मदिन है। इस अवसर पर सभी को मेरे घर आना है। मगर मेरे जन्मदिन पर कोई उपहार नहीं लाएगा, मुझे किसी का उपहार नहीं चाहिए।’’

पप्पू हाथी की बात सुनकर सारे जानवर अपने-अपने घर चले गए।

अगले दिन पप्पू हाथी के घर चंपक वन के जानवरों की भीड़ जुटने लगी। कुछ ही देर में पप्पू हाथी का पूरा इलाका मेहमानों से भर गया। पप्पू हाथी ने बड़ी धूमधाम से अपना जन्मदिन मनाया और सभी को केक काटकर खिलाया, साथ ही सभी को शानदार दावत दी।

दावत खाकर सभी अपने-अपने घर जाने लगे। तभी गब्बर शेर पप्पू हाथी के पास आकर बोला, ‘‘पप्पू, तुम्हें मेरा उपहार लेना ही पडे़गा। अगर तुमने मेरा उपहार लेने से इनकार कर दिया तो मुझे बहुत दुःख होगा।

‘‘तुम्हें पता है, सर्दी आनेवाली है। जंगल के दूसरे जानवर सर्दी से बचने के लिए गरम स्वेटर, जर्सी और शॉल मौजा-मफलर का उपयोग करते हैं। मगर एक तुम हो कि सर्दी भर काँपते रहते हो। इसलिए मैंने तुम्हारे लिए विदेश से एक गरम ओवरकोट मँगाया है। इसे पहनकर तुम सर्दी से बचे रहोगे। इस पैकेट में तुम्हारा ओवरकोट है, इसे जन्मदिन के उपहार के रूप में स्वीकार करो।’’ पप्पू हाथी गब्बर शेर का उपहार लेकर खुशी से उछल पड़ा।

पप्पू हाथी इस बात पर खुश था कि इस साल उसे सर्दी परेशान नहीं करेगी। न उसे ठंडी में दाँत किटकिटाने पड़ेंगे। ओवरकोट पहनकर सर्दी में भी खूब घूमूँगा। उपहार में ओवरकोट पाकर पप्पू हाथी मन-ही-मन खुश हो रहा था।

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