गया था बुद्ध गया

गया था बुद्ध गया

अनजान

गया था बुद्ध गया

सिर्फ देखने जैसे बुद्ध गया को ही

लौटते वक्त वहाँ से

नहीं आया कुछ भी मेरे साथ

अपनी ही आँखें अपनी ही साँसें

अपना था

परसों बुद्ध गया मैं

बम फूटा था, यह जानने पर

वहाँ जो कुछ देखा था

लगा कि यहाँ अपना ही है।

हाय बेचारे!

कोई प्रतिमा रखी नहीं है मैंने

घर में

मन में भी

बुद्ध-प्रतिमा को आतंकवादियों ने

तोड़-फाड़ करने गए जिस पल से

रखना था न, यह लगने लगा।

ढूँढ़ने निकल पड़ा बुद्ध-प्रतिमा को

बाजार में

जो थी प्रतिमाएँ, हर एक में नहीं था बुद्ध

था मानो उसका सिर्फ रूपक।

हाय बेचारे! सोचा आतंकवादियों के बारे में

उन्हें मेरे अंधे होने के लिए।

परिवर्तन

गया में जिसे मैंने पसंद किया

बोधिवृक्ष नहीं

मानो बजा दीजिए

कहते हाथ को जो लौह चुंबक के समान

खींचते उस महा घंटा को

कितने लोगों ने बजाया होगा उस घंटा को

मुझे क्यों बजाना है

सोचकर चुप था उस वक्त

अब धीरे से सता रहा है जैसे

वह घंटा मेरे कानों में मार जैसा लग रहा है

ऐसा कहते—‘अगर तुम आकर बजाने पर भी अब

तुम्हारे बजाने के जैसे नहीं है उस समय।’

बुद्ध मुझे पसंद है क्योंकि

मुझे पसंद है बुद्ध क्योंकि

पेड़ भी वह, फूल भी वह

ऐसा है, इसलिए

पेड़ को पेड़ के उस पार

कल्पित किया जा सकता है

आँखें हों तो

याद को भी फिर बुलाया जा सकता है

बिना आँख के

कविताओं में इन दोनों की संभावनाएँ हैं

जैसे बुद्ध में है

क्षमा नहीं करना चाहिए बुद्ध को,

ऐसा लगता है

वह जो कविता नहीं लिखता

उसे हमें ही सौंपकर

हँस रहा है, इसलिए।

इतिहास

भगवान् को देखने

नहीं जानेवाला था बुद्ध,

भगवान् उसे मिला

लोक के दुःखों में।

देखो पेड़ को पार करो नदी को,

नजर गाड़ो नाक में

ऐसा उसने नहीं कहा कभी।

आँख देखने को जिस प्रकार सीखता है

चीज, चीज के रूप में जिस प्रकार दिखता है,

सिद्धार्थ हुआ बुद्ध

कहता है इतिहास

अभी है हमारे बीच बुद्ध,

इस प्रकार मानो उस इतिहास को तोड़ दूँगा।

विस्मय

कौन सिखाता है बताइए

आँख को देखने की कला?

अगर आँख का है धर्म

वह देखना ही है।

अगर चीज सामने न हुई आँख को

आँख बनकर रहना संभव है कैसे?

बुद्ध की प्रतिमाएँ हैं ऐसी ही

हमारी आँखों की चंचलता में

प्रतिमाएँ होकर इत्तेफाक से

वह चंचलता हमसे पार कर सीमा

बुद्ध की प्रतिमाएँ रह नहीं सकती

आँखों के आगे

आँख ही बन बुद्ध प्रतिमा

मानो उठकर आने के जैसे।

नवनीत,

द्वितीय क्रॉस, अन्नाजी राय लेआउट

प्रथम स्टेज, विनोबानगर

शिमोगा-५७७२०४ (कर्नाटक)

दूरभाष : ०९६११८७३३१०

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