महिमा शॉर्टकट की

महिमा शॉर्टकट की

शॉर्टकट मारना मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति है, पर हर कोई इसका लाभ प्राप्त कर ले, यह जरूरी नहीं। इसके लिए पर्यवेक्षण और प्रशिक्षण आवश्यक है। हो सकता है, कभी लेने के देने भी पड़ जाएँ, फिर भी लाभ की संभावना अधिक है। इसी के चलते यह जनता में बहु-प्रचलित है। देखा गया है कि जहाँ बहुत बड़ा लॉन होता है, वहाँ लोग हदबंदी के रास्ते से आने में समय नहीं गँवाते, बल्कि बीचोबीच से सीधे निकल जाते हैं। समय कम लगा; टाँगें भी कम थकीं। रही बात घास की तो वह कितनी खराब हो जाएगी। उसका तो जन्म ही पैरों के नीचे आने के लिए हुआ है। आपने देखा नहीं कि लोग सुबह-सुबह पार्कों में नंगे पाँव घास पर चलते हैं। इससे तरो-ताजगी मिलती है। नेत्रों की ज्योति बढ़ती है। बड़े-बडे़ कवियों ने भी किसी-न-किसी तरह अपनी कविता को घास से जोड़ा है। अज्ञेय ने तो शीर्षक ही ऐसा दिया है—‘हरी घास पर क्षण भर।’

घास के मैदानों को छोड़ दें तो और स्थानों पर भी शॉर्टकट मारने की आदत दिखाई पड़ती है। बच्चा स्कूल में पढ़ रहा है। अभिभावक चाहता है कि दो जमातें एक ही वर्ष में पास कर ले। बच्चे पर जोर पड़ता है, पडे़। दुनिया के सामने तो माँ-बाप फख्र से सिर उठाकर कह सकते हैं—देखो, कितना कुशाग्र बुद्धि है उनका बालक! कुछ दे-दिलाकर भी यह उपलब्धि हो जाए तो कोई घाटे का सौदा नहीं।

परिश्रम और साधना के द्वारा किसी पार्टी में कोई स्थान बना लेना, रुतबा पा लेना बहुत संतोष की बात है; सच्ची प्रसन्नता होती है, लेकिन उससे भी बड़ी प्रसन्नता तब प्राप्त हो जाती है, जब मंत्री/मुख्यमंत्री अपने बेटे/बेटी को ही अपने स्थान पर मंत्री/मुख्यमंत्री बना देता है। शॉर्टकट से पेड़ में फल कितनी जल्दी आ गया। ऐसे ही नौकरियों और तरक्की पाने के लिए चाटुकारिता व दब्बूपन आपको छोटे रास्ते से शिखर पर ले जाएगा। पिछले दरवाजे से घुसिए, सीधा हॉल में पहुँच जाएँगे। जहाँ ताले जडे़ हैं, उन्हें तोड़ने में मेहनत क्यों करो? उन्हें यथास्थान रहने दो। ताला खुलेगा, टूटेगा, आवाज होगी, लोग संज्ञान में लेंगे। पिछले द्वार से घुसोगे तो किसी को कानोकान खबर न होगी और रंग भी चोखा आएगा।

शॉर्टकट में ‘कट’ शब्द ध्यान देने योग्य है। ‘कट’ अपने पर नहीं लगाना है, दूसरे पर अप्लाई करना है। कट-थ्रोट कंपीटिशन केयुग में कंपीटिशन से मित्रता न करें, ‘कट’ को गुरु बनाएँ। वह बताएगा कि कब, कहाँ और कैसे लगाना है। इस ‘कट’ से सारे बंधन खुल जाते हैं, सारे पाश कट जाते हैं। यह ‘कट’ बड़ी-बड़ी बाधाओं को हटा देता है, ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों के बीचोबीच सुरंग निकाल देता है और आप एकदम मंजिल के मुहाने पर होते हैं।

‘शॉर्ट’ तो है ही शॉर्ट, यानी दूरी सिकुड़ गई। ऊँची मंजिल बौनी होकर आपके चरणों पर आ गिरी। कलजुग में जिसने शॉटकट की विद्या सीख ली, उसका बेड़ा पार हो गया। कठिनाइयों की वैतरणी में शॉर्टकट सुरक्षित पहुँचने का कवच है। न आप गीले होंगे, न डूबेंगे। सूखे, साफ-सुथरे आर से पार पहुँच जाएँगे।

वर्तमान में शॉर्टकट के बाकायदा कोर्सेस चलाए जा सकते हैं, जहाँ भीड़ का होना शर्तिया है, कोर्स जॉब-ओरिएंटड होगा, क्योंकि शॉर्टकट रिजल्ट-ओरिएंटड है। जिन्हें अपने भविष्य की चिंता है, वे दौड़-दौड़कर इसमें दाखिला लेंगे। इस डिग्री की मार्केट में साख होगी। सिद्धांतों को ताक पर रखिए और अपने बच्चों को यह कोर्स जल्दी-से-जल्दी करवाइए।

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