धूल उड़ाती आती गरमी

धूल उड़ाती आती गरमी

गरमी

गुस्सा खूब दिखाती गरमी,

लूएँ भी बरसाती गरमी।

आँधी, तूफानों को लेकर,

जब-जब भी यह आती गरमी।

धूल उड़ाती आती गरमी,

मन को तनिक न भाती गरमी।

धूप कड़ाके की यह लेकर,

तन को खूब तपाती गरमी।

बड़ा पसीना लाती गरमी,

पानी प्यास लगाती गरमी।

कपड़ा नहीं सुहाता तन पर,

शोले से बरसाती गरमी।

आ गई मई

देखो, फिर आ गई मई,

संग छुट्टियाँ लिये नई।

रिंकू, पिंकू, संतू भाई,

बडे़ मजे की वेला आई।

तुम सब हो जाओ तैयार,

चलो सैर कर आएँ यार।

सर्दी की ऋतु चली गई,

देखो, फिर आ गई मई।

एक बात का धर लो ध्यान,

सब ही से करना पहचान।

कागज, कलम सँभालो हाथ,

लिखना क्षण जो बीते साथ।

सैर करेंगे दिवस कई,

देखो, फिर आ गई मई।

कुछ दिन नानाजी के रहना,

कुछ अपनी, कुछ उनकी सुनना।

वह जो कहें, उसे तुम लिखना,

जीवन में उसपर तुम चलना।

घड़ी सुहानी आ ही गई,

देखो, फिर आ गई मई।

आई जुलाई

आई जुलाई, आई जुलाई,

पढ़ने का संदेशा लाई।

बच्चो शाला पढ़ने जाना,

रस्ते में तुम रुक न जाना।

ले लो हाथ किताबें अपनी,

तुम्हें पढ़ाई अपनी करनी।

चपरासी ने बेल बजाई,

आई जुलाई, आई जुलाई।

छोड़ो बिस्तर, आलस छोड़ो,

सदा बुराई से मुख मोड़ो।

कर लो पढ़ने की तैयारी,

प्यारी कक्षा नई तुम्हारी।

नए-नए चहरे पडे़ दिखाई,

आई जुलाई, आई जुलाई।

घूम-घूमकर टिंकू भाई,

तुमने छुट्टी खूब बिताई।

चित्त लगा जो करे पढ़ाई,

उसने सदा सफलता पाई।

सारे जग में धूम मचाई,

आई जुलाई, आई जुलाई।

अप्पू की चालाकी

अप्पूजी ने मन में सोचा,

खाऊँ भल्ले और समोसा।

लेकर एक दिवस अवकाश,

अप्पू पहुँचा भालू पास।

बोला अप्पू भालूजी से,

चखाओ भल्ले हैं कैसे?

जो भी अच्छा मुझे लगेगा,

उसका पैसा तुझे मिलेगा।

चख लिया जब सारा सामान,

बोला हिला-हिलाकर कान।

जँचा न सौदा भालूराज,

चंगा नहीं बनाया आज।

 

गरदन की घंटियाँ हिलाता,

चला गया अप्पू मदमाता।

लेकिन भालू क्या कर पाता,

बैठा-बैठा है पछताता।

द्वारा श्याम ज्वैलर्स

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