RNI NO - 62112/95
ISSN - 2455-1171
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पापी पेटछोटा सा डॉक्टर, बड़ा पेट, बड़ा बँगला, सिकुड़ा हुआ अंडर ग्राउंड क्लीनिक, तगड़ी फीस, इस पर मरीजों की भीड़। आधे ठीक होते। डॉक्टर को भगवान् मानते। आधे ठीक नहीं होते। ‘भगवान् की मरजी कह’ फीस भर आते। छापामारों को मौका मिला। डॉक्टर ने उनकी कमीज उठा, पेट का मुआयना किया। भर लो॒पेट। पेट अकेला नहीं था। हिस्सेदारों के पेट भरने का तकाजा था। डॉक्टर साहब का पेट खाली हो गया। डॉक्टर साहब ने अपने पिचके पेट की खातिर फीस दुगनी कर दी। अनुशासन मासूम ग्रैजुएट! ‘‘चलो, चपरासी की ही सही, सरकारी नौकरी तो लगी।’’ पहला दिन! नस-नस में जोश। बड़ी फुरती से, हर विभाग में फाइलें और फाइलें लाते, ले जाते खुशी के मारे सीटी बजा रहा था। बाबू लोग मुसकरा रहे थे। डिप्टी डायरेक्टर के चैंबर में फाइल रखते हुए भी सीटी बजा दी। एक करारा थप्पड़ गोरे गालों को छेद गया। फौरन कांस्टेबल हाजिर हुआ। साथ के स्टोर में ले गया। झापड़ों की भरमार। घबराहट, गरमी और पसीने से लथपथ ऐसी-वैसी जगहों पर चोटें। बेहोशी ऐसी कि फिर अस्पताल। फिर बड़े अस्पताल, जहाँ से कोई आज तक लौटकर नहीं आता। ५/ई/९ ‘संवाद’, डुप्लेक्स कॉलोनी बीकानेर-३३४००३ (राज.) दूरभाष : ०१५१-२५२९०६७ |
अप्रैल 2024
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